ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को CBI ने किया गिरफ्तार, वीडियोकॉन लोन मामले में बड़ा एक्शन

वीडियोकॉन को लोन मामले में CBI ने शुक्रवार को बड़ा एक्शन लिया है। जांच एजेंसी ने ICICI बैंक की पूर्व MD और CEO चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि चंदा ने बैंक के पॉलिसी और रेगुलेशन के खिलाफ जाकर करोड़ों रुपए का लोन दिया। चंदा उस कमेटी का हिस्सा रहीं जिसने 26 अगस्त 2009 को बैंक द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपए और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपए देने की मंजूरी दी थी। आरोपों के बाद 59 साल की चंदा ने अक्टूबर 2018 में ICICI बैंक के CEO और MD के पद से इस्तीफा दे दिया था।

दिसंबर 2008 में वीडियोकॉन के एमडी वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ मिलकर एक कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई। इसमें कोचर के परिवार और धूत की हिस्सेदारी 50-50 फीसदी की थी। दीपक कोचर को इस कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। जनवरी 2009 में धूत ने न्यूपावर में डायरेक्टर का पद छोड़ दिया। उन्होंने 2.5 लाख रुपए में अपने 24,999 शेयर्स भी न्यूपावर में ट्रांसफर कर दिए। मार्च 2010 में धूत ने न्यूपावर कंपनी को अपने ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए 64 करोड़ रुपए का लोन दिया। नवंबर 2010 में धूत ने कोचर की न्यूपावर कंपनी को लोन देने वाली सुप्रीम एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी महेशचंद्र पुंगलिया को दे दी। अप्रैल 2012 में इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दावा किया गया है- वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को अप्रैल 2012 ने 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया गया था। ग्रुप ने इस लोन में से 86% यानी 2810 करोड़ रुपए नहीं चुकाए। इसके बाद लोन को 2017 में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) घोषित कर दिया गया। सितंबर 2012 में पुंगलिया ने धूत से मिली सुप्रीम एनर्जी कंपनी की हिस्सेदारी दीपक कोचर की अगुआई वाले पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी। 94.99% होल्डिंग वाले शेयर्स महज 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिए गए। इस तरह सुप्रीम एनर्जी से मिले 64 करोड़ रुपए के लोन के मायने नहीं रह गए।

बता दें कि ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था। ED ने 3 साल पहले चंदा कोचर की 78 करोड़ रुपए की संपत्तियां अटैच की थीं। इनमें चंदा का मुंबई का घर और उनसे जुड़ी कंपनी की संपत्तियां शामिल थीं। ED के अधिकारियों ने बताया था कि कोचर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत कार्रवाई के लिए वारंट जारी किया गया था। इसके तहत कोचर के मुंबई में स्थित फ्लैट और उनके परिवार से संबंधित एक कंपनी की संपत्तियों को जांच एजेंसी ने अटैच किया था।