भारत में बड़े-बड़े त्योहारों जैसे दिवाली और धनतेरस के मौके पर सोने की मांग बढ़ जाती है क्योंकि इस समय सोना खरीदना शुभ माना जाता है। सोने के गहनों और सिक्कों को, सोने को भौतिक रूप में रखने के पारंपरिक तरीके के रूप में देखा जाता रहा है। अतीत में कई बार यह फायदेमंद साबित हुआ है क्योंकि यह बाजार की अस्थिरता और महंगाई से बचाव करने में मदद करता है।
लेकिन, इस बार, सोने की कीमत में बढ़ोत्तरी होने के कारण सोने की मांग पिछले दो साल की तुलना में काफी कम है। इस बार धनतेरस 5 नवंबर 2018 को और दिवाली 7 नवंबर 2018 को है। रुपए के गिरते मूल्य के कारण सोने की कीमत में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में पोस्ट ऑफिस भी आपको सस्ते में सोना खरीदने का मौका दे रहा है। इस स्कीम के तहत आप कई और फायदे उठा सकते हैं। आइए जानें
पोस्ट ऑफिस सरकार की स्कीम को चलाता है। सरकार ने यह स्कीम रिजर्व बैंक (RBI) के साथ सलाह करने के बाद शुरू की है। इस स्कीम का नाम Gold Bond Scheme, 2018-19 है। कोई भी व्यक्ति इसके तहत सस्ते में सोना खरीद सकता है। साथ ही उसे इस पर ब्याज मिलेगा। इस स्कीम में पैसा लगाने पर टैक्स छूट भी मिलती है। आइए जानें
यहां से खरीदें सोनाबॉन्ड की बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), मनोनीत डाकघरों तथा मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों नेशनल स्टाक एक्सचेंज तथा बीएसई लिमिटेड के जरिये की जाएगी। योजना का पहला चरण 19 अक्टूबर को बंद हुआ था। अब अगला चरण 5 नवंबर को खुलेगा और 9 नवंबर को बंद होगा। उसके बाद यह 24 दिसंबर को आएगा और 28 दिसंबर को बंद होगा। चौथा और पांचवां चरण क्रमश: 14 से 18 जनवरी और 4 से 8 फरवरी को खुलेगा।
कैसे तय होगी सोने की कीमतभारत बुलियन एंड जूलर्स एसोसिएशन लिमिटेड की ओर से पिछले 3 दिन 999 प्योरिटी वाले सोने की दी गई कीमतों के आधार पर इस बांड की कीमत रुपए में तय होती है। स्कीम के तहत इनिशियल इन्वेस्टमेंट पर 2.5 फीसदी का सालाना ब्याज मिलेगा।
नवंबर 2015 में हुई थी यह योजनाइस योजना की शुरुआत नवंबर 2015 में हुई थी। इसका मकसद भौतिक रूप से सोने की मांग में कमी लाना तथा सोने की खरीद में में उपयोग होने घरेलू बचत का इस्तेमाल वित्तीय बचत में करना है। घर में सोना खरीद कर रखने की बजाय अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करते हैं, तो आप टैक्स भी बचा सकते हैं।
जानें गोल्ड बॉन्ड खरीदने के फायदे ये सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने की कीमतों से जुड़े होते हैं। जैसे ही सोने की कीमतों में इजाफा होता है, वैसे ही आपका निवेश भी ऊपर जाता है। गोल्ड ईटीएफ के मुकाबले इसके लिए आपको सालाना कोई चार्ज भी नहीं देना पड़ता है। आप इन बॉन्ड के आधार पर लोन भी ले सकते हैं। ये बॉन्ड पेपर और इलेक्ट्रोनिक फॉर्मेट में होते हैं, तो इससे आपको फिजिकल गोल्ड की तरह लॉकर में रखने का खर्च भी नहीं उठाना पड़ता।
कैपिटल गेन टैक्स की भी हो सकती है बचतबांड की कीमतें सोने की कीमतों में अस्थिरता पर निर्भर करती है। सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉन्ड पर नकारात्मक रिटर्न देता है। इस अस्थिरता को कम करने के लिए सरकार लंबी अवधि वाले गोल्ड बॉन्ड जारी कर रही है। इसमें निवेश की अवधि 8 साल होती है, लेकिन आप 5 साल के बाद भी अपने पैसे निकाल सकते हैं। पांच साल के बाद पैसे निकालने पर कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगाया जाता है।
मिल सकता है लोनजरूरत पड़ने पर गोल्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। गोल्ड बॉन्ड पेपर को लोन के लिए कोलैटरल के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट की तरह होता है।