Budget 2019 : घोषणा से पहले कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है बजट, जान लें कौन-कौन करता है इसे तैयार

केंद्र की एनडीए की नरेंद्र मोदी सरकार आज (1 फरवरी) अंतरिम बजट पेश करने जा रही है। आम तौर पर वित्‍त मंत्री ही बजट पेश करते हैं, पर केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के बीमार होने के कारण इस बार रेल मंत्री पीयूष गोयल संसद में बजट पेश करेंगे, जिन्‍हें जेटली की अनुपस्थिति में वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह ही वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला है। आम चुनाव 2019 से पहले पेश हो रहे अंतरिम बजट पर पूरे देश की नज़र है। परंपरा के तौर पर आम चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में बड़े ऐलान नहीं होते हैं। इसमें नई सरकार के आने तक खर्च चलाने जितनी रकम के लिए संसद की मंजूरी ली जाती है। हालांकि, अगले 3-4 महीने में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बार परंपरा तोड़ कर मोदी सरकार लोक-लुभावन बजट पेश करेगी। इस बजट में सरकार से ये उम्मीद तो कतई नहीं की जाती है कि वो कोई ऐसा ऐलान कर दे, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति पर बहुत बड़ा असर पड़े। क्योंकि, अगर ऐसा होता है, तो इसका असर सीधे चुनाव में दिखेगा। वहीं, जीएसटी संग्रह में कमी, दूरसंचार क्षेत्र में राजस्व, विनिवेश राजस्व और प्रत्यक्ष कर प्राप्तियों में हाल के वक्त में हुई कमी मोदी सरकार के अंतरिम बजट को प्रभावित कर सकती है।

वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक विभाग की टीम ने अन्य मंत्रियों और स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर ये बजट तैयार किया है। अरुण जेटली का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण अंतरिम वित्त बनाए गए पीयूष गोयल ये बजट पेश करेंगे। घोषणा होने से पहले यहां पढ़े कौन हैं वे लोग जिन्होंने 2019 का ये अंतरिम बजट तैयार किया है।

इन्होंने तैयार किया है अंतरिम बजट 2019

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली
अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल
पोन राधाकृष्णन (राज्य वित्त मंत्री)
सुभाष चंद्र गर्ग (आर्थिक मामलों के सचिव)
शिव प्रताप शुक्ला ( वित्त राज्य मंत्री)
अजय भूषण पांडे ( राजस्व सचिव)
अजय नारायण झा (व्यय सचिव)
सुशील चंद्र (सीबीडीटी चेरमैन)
पीके दास (सीबीआईसी चेयरमैन)
अतानु चक्रबर्ती (डिपार्मेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट सचिव)
राजीव कुमार (वित्तीय सेवाओं के सचिव)
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम (मुख्य आर्थिक सलाहकार)
संजीव सन्याल (आर्थिक सलाहकार)

बता दें कि जब तक वित्त मंत्री पीयूष गोयल संसद में बजट पेश करेंगे उसके पहले बजट के दस्तावेजों को पूरी कड़ी सुरक्षा के बीच नॉर्थ ब्लॉक में रखा गया है। बताया जाता है कि इसके बारे में 100 अधिकारियों को ही जानकारी दी गई है। गौरतलब है कि बजट की तैयारी के समय अधिकारियों को ये सख्त निर्देश दिया गया था कि वे अपने किसी को भी इसके बारे में कोई जानकारी ना दें यहां तक कि अपने परिवार और दोस्तों से भी इसे गुप्त रखें।

बजट से जुड़ी कुछ रोचक तथ्‍य...

- स्‍वतंत्र भारत में पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया। यह भी अंतरिम बजट था। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार में वित्‍त मंत्री रहे आरके शणमुगम चेट्टी ने यह बजट पेश किया था, जिसमें कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था।

- मोरारजी देसाई के नाम सर्वाधिक 10 बार केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश करने का रिकॉर्ड है। इसके बाद इस संबंध में पी चिदंबरम का नाम आता है, जिन्‍होंने 9 बजट पेश किए। वित्‍त मंत्री से राष्‍ट्रपति पद तक सफर तय करने वाले प्रणब मुखर्जी 7 बार बजट पेश कर चुके हैं।

- मोरारजी देसाई एकमात्र वित्‍त मंत्री हैं, जिन्‍होंने अपने जन्‍मदिन पर दो बार 29 फरवरी, 1964 और 29 फरवरी, 1968 को बजट पेश किया। 1977 में प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्‍होंने 1958-1963 के बीच नेहरू की कैबिनेट में और 1967-1969 तक इंदिरा गांधी की कैबिनेट में वित्त मंत्री के तौर पर सेवा दी।

- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने देश में प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए बजट पेश किया। मोरारजी देसाई, चरण सिंह, मनमोहन सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के ऐसे वित्‍त मंत्री रहे, जो आगे चलकर प्रधानमंत्री भी बने। वहीं, आर. वेंकटरमन और प्रणब मुखर्जी उन वित्‍त मंत्रियों में शामिल हैं, जो बाद में राष्‍ट्रपति भी बने।

- वर्ष 1999 तक बजट फरवरी के अंतिम कार्यकारी दिन शाम 5 बजे पेश किया जाता था। लेकिन तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री यशवंत सिन्‍हा ने इस परंपरा को बदलते हुए 1999 से बजट सुबह 11 बजे पेश करना शुरू किया।

- केंद्रीय बजट को लेकर एक बड़ा परिवर्तन 2017 में हुआ, जब वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किए जाने की तारीख फरवरी के आखिर से बदलकर 1 फरवरी कर दी। यह बदलाव इसलिए किया गया, ताकि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में बजट लागू करने को लेकर पर्याप्त समय मिल सके।

- पारंपर‍िक रूप से जिस प्रकार हर काम की शुरुआत मीठे से की जाती है, उसी तरह बजट से पहले 'हलवा सेरेमनी' आयोजित की जाती है। इसके बाद ही बजट संबंधी डॉक्यूमेंट्स की आधिकारिक छपाई शुरू होती है और वित्त मंत्रालय के लगभग 100 अधिकारी 10 दिनों के लिए एक बेसमेंट में बंद हो जाते हैं। यह कदम बजट की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए उठाया जाता है।

- बजट की छपाई 1980 के बाद नॉर्थ ब्लॉक बेसमेंट में होती है। इससे पहले मिंटो रोड स्थित सरकारी प्रेस में इसकी छपाई होती थी। लेकिन 1950 में एक लीक के बाद इसका स्‍थान बदलकर मिंटो रोड स्थित सरकारी प्रेस कर दिया गया। 1950 तक बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी।

- वर्ष 2017 से पहले तक रेलवे बजट और आम बजट कुछ दिनों के अंतराल पर पेश किया जाता था। 2016 तक रेल बजट पहले और इसके बाद आम बजट पेश किया जाता था। लेकिन 2017 से वर्षों पुरानी परंपरा को समाप्‍त करते हुए रेल बजट भी आम बजट के साथ पेश किया जाने लगा।

- वित्‍त वर्ष 1997-98 में पेश बजट को 'ड्रीम बजट' भी कहा जाता है, जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पेश किया था। इसमें कई बड़े आर्थिक सुधार किए गए, जिसके कारण इसे 'ड्रीम बजट' कहा जाता है।