पश्चिमी विचारों की गुलामी से मुक्त होकर भारतीय परंपरा में रंगा 2019 का बजट, जानें क्या हुआ बदलाव

केंद्र की सत्ता में दोबारा आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार का आज पहला बजट कुछ ही देर में निर्मला सीतारमण लोकसभा में पेश करने वाली है, लेकिन वित्त मंत्रालय के बाहर आज पहली बार एक अलग तस्वीर दिखने को मिली। असल में, बजट अप्रूवल के लिए वरिष्ठ अफसरों और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचीं। अब तक हमने यह देखा है कि वित्त मंत्री लेदर का ब्रीफकेस लेकर बजट पेश करने संसद पहुंचते थे। लेकिन इस बार ऐसा नही हुआ। इस बार बजट ब्रीफकेस की बजाय लाल रंग के मखमली कपड़े में बंधा दिखा। इसे एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। भारत में बही खाता को भी लाल रंग के कपड़े में बांध कर रखने की परंपरा रही है। दफ्तरों में भी दस्तावेजों को लाल कपड़े में बांधकर रखने की परंपरा रही है। इस पर समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि यह भारतीय परंपरा है। यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से हमारे मुक्त होने का संकेत है। यह बजट नहीं है, यह बही खाता है।

अटैची का बजट से बड़ा पुराना नाता

बजट फ्रांसीसी शब्द 'बॉगेटी' से बना है, जिसका मतलब लेदर बैग होता है। पहली बार 1860 में ब्रिटेन के 'चांसलर ऑफ दी एक्सयचेकर चीफ' विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर आए थे। ब्रिटेन की महारानी ने बजट पेश करने के लिए लेदर का यह सूटकेस खुद ग्लैगडस्टमन को दिया था। तभी से यह परंपरा निकल पड़ी। वहीं से भारत में यह परंपरा आई है। संसद में बजट वाले दिन थैला या ब्रीफकेस लाने की परंपरा भी अंग्रेजों की ही देन है। बजट वाले दिन वित्त मंत्री चमड़े के एक बैग या ब्रीफकेस के साथ संसद पहुंचते हैं, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा होता है।

लेकिन इस बार बजट पश्चिमी विचारों की गुलामी से मुक्त हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लाल रंग के मखमली कपड़े में बजट पेश करके भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाने के साथ ही पश्चिमी अवधारणा को तोड़ा है।