बीकानेर : डेढ़ साल के बच्चे को हुआ ब्लैक फंगस, नाक के नीचे कालापन देख डॉक्टरों ने करवाई जांच

कोरोना के इस कहर के बीच अब ब्लैक फंगस अपना प्रसार करने लगा हैं। हर उम्र के लोगों को यह अपनी चपेट में ले रहा हैं। बाड़मेर में बच्चे में ब्लैक फंगस का मामला सामने आया हैं जहां डेढ़ साल के मासूम के नाक के नीचे कालापन देख डॉक्टरों ने जांच करवाई तो ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। इस बच्चे में ब्लैक फंगस की वजह कैंसर का उपचार करते हुए दी गई स्टेरॉइड हो सकती है। डॉक्टर्स का कहना है कि स्टेराॅइड कैंसर रोगी के ट्रीटमेंट का पार्ट है। बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल में भर्ती यह बच्चा एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया से पीड़ित है, जो एक तरह का ब्लड कैंसर है। सात दिन से भर्ती बच्चे बच्चे को कैंसर वार्ड से ब्लैक फंगस वार्ड में शिफ्ट करने के साथ ही एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन शुरू किया गया है।

डॉक्टर का कहना है, एमआरआई करवाकर ये पता लगाएंगे कि फंगस कितनी गहराई तक पैठ कर चुका है। इसके अनुरूप ही सर्जरी की संभावनाओं पर भी विचार शुरू किया है। डॉक्टर्स का मानना है कि ब्लैक फंगस से प्रभावित मरीजों में यह संभवत: अब तक सबसे कम उम्र का है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेन्द्र बेनीवाल ने बताया कि चूरू जिले के सुजानगढ़ से लाए गए इस बच्चे को एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया है। यह एक तरह का ब्लड कैंसर है, जो छोटे बच्चों में होता है। हालांकि ऐसे केस बहुत कम होते हैं। ईएनटी के प्रोफेसर एवं ब्लैक फंगस ट्रीटमेंट टीम के प्रभारी डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि मंगलवार को ही बच्चे को फंगल इन्फेक्शन वार्ड में शिफ्ट किया गया है। एमआरआई रिपोर्ट के बाद सर्जरी की संभावनाओं पर काम शुरू होगा। अभी इंजेक्शन शुरू कर दिए गए हैं।

तांडव मचाने के बाद अब गिर रहा कोरोना का ग्राफ

एक समय ऐसा आया था जब कोरोना ने बीकानेर में तांडव मचा रखा था। लेकिन अब लॉकडाउन के साथ ही कोरोना का ग्राफ भी लगातार नीचे गिर रहा हैं। मंगलवार को रिपोर्ट में 233 पॉजिटिव केस आए हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्र में जहां सबसे ज्यादा पॉजिटिव के आए थे, वहां भी अब यह महामारी डबल डिजिट में सिमट गई है। मंगलवार सुबह आई रिपोर्ट में पीबीएम अस्पताल के कोविड आउटडोर में 66 पॉजिटिव केस मिले। यहां करीब पौने तीन सौ सेम्पल लिए गए थे। दूसरी लहर के पीक में यहां हर दूसरा केस पॉजिटिव आ रहा था लेकिन अब यह आंकड़ा करीब आठ तक आ गया है।