नई दिल्ली। हाल ही में सम्पन्न 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को अपनी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं, विधायकों और सांसदों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। अब कुछ समय बाद ही लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों के मद्दे नजर भाजपा ने अपने रूठे हुए कार्यकर्ताओं, विधायकों और सांसदों को मनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही संगठन के अंदर और बाहर हर स्तर पर पार्टी को एकजुट करने तथा नाराज और असंतुष्ट नेताओं को मनाने के लिए सक्रियता बढ़ा दी गई है। दूसरे दलों के नेताओं को भी अपने साथ लाने के लिए पार्टी बड़े स्तर पर कवायद कर रही है। इस सिलसिले में मंगलवार को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हुई। इसमें एक कमेटी का भी गठन किया गया। इस कमेटी में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव, मनसुख मंडाविया, असम के सीएम हेमंत विश्व शर्मा, पार्टी महासचिव विनोद तावड़े, तरुण चुघ, सुनील बंसल शामिल हैं। इस कमेटी का नाम टीम-8 रखा गया है।
नई कमेटी को दी गई बड़ी जिम्मेदारीअगले कुछ महीनों बाद होने जा रहे आम चुनावों में पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं में किसी भी तरह के असंतोष या नाराजगी जैसी स्थिति को नहीं होने देना चाहती है। इसको लेकर काफी समय से वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चाएं चल रही थीं। आलाकमान ने तय किया है कि किसी भी बाहरी नेता को पार्टी में लेने की मंजूरी यह कमेटी ही देगी। इससे हरी झंडी मिलने के बाद ही उसे पार्टी की सदस्यता दी जाएगी।
भाजपा का मानना है कि दूसरे दलों खासकर कांग्रेस, सपा, बसपा, आरएलडी, जेडीयू सहित कई अन्य विपक्षी दलों के कई ऐसे प्रभावशाली नेता हैं, जो पार्टी में आने को इच्छुक हैं, लेकिन वे खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। नई कमेटी ऐसे नेताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए संपर्क साधने और बातचीत करने की कोशिश करेगी।
हाल के विधानसभा समेत पिछले कुछ चुनावों में पार्टी की यह रणनीति काफी कारगर रही है। अब पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले भी इसी रणनीति पर अमल करने जा रही है। तीसरी बार केंद्र की सत्ता पर आना पार्टी का लक्ष्य है। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए (I.N.D.I.A.) में लगातार सामने आ रहे अंतर्विरोध और आपसी असहमति से पार्टी को उम्मीद है कि उसके कई नेता उससे अलग हो सकते हैं।