कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है बर्ड फ्लू, 50% से ज्यादा मृत्युदर

देशभर में बर्ड फ्लू (Bird Flu) के खतरे को देखते हुए अतिरिक्‍त सावधानी बरती जा रही है क्योंकि इससे संक्रमित लोगों में से आधे से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। आपको बता दे, कोरोना से संक्रमित लोगों में से मरने वालों की दर करीब 3% है। इसलिए बर्ड फ्लू को लेकर देश के कई राज्य अलर्ट हो चुके हैं। बर्ड फ्लू अब तक दुनिया में चार बार बड़े पैमाने पर फैल चुका है। यहां तक कि 60 से ज्यादा देशों में महामारी का रूप भी ले चुका है। साल 2003 से लेकर अब तक लगातार यह किसी न किसी देश में अपना असर दिखाता रहता है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस इन सभी वायरसों में सबसे ज्यादा खतरनाक इसलिए है क्योंकि इसकी वजह से संक्रमित लोगों में से आधे से ज्यादा की मौत हो जाती है। साल 2003 से लेकर अब तक H5N1 बर्ड फ्लू वायरस से संक्रमित इंसानों और मौत की बात करें तो कुल 861 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 455 मारे जा चुके हैं। यानी मृत्यु दर 52.8% है। WHO के मुताबिक साल 2007 से लेकर 2008 के बीच H5N1 बर्ड फ्लू वायरस की वजह से 349 लोग संक्रमित हुए, जिसमें 216 लोगों की मौत हो गई। यानी मृत्यु दर करीब 62% था। WHO के मुताबिक H5N1 बर्ड फ्लू वायरस किसी सतह के जरिए भी इंसानों को संक्रमित कर सकता है।

बर्ड फ्लू बेहद संक्रामक और कोरोना की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। इंफ्लूएंजा के 11 वायरस हैं जो इंसानों को संक्रमित करते हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ पांच ऐसे हैं जो इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।

ये हैं-
H5N1
H7N3
H7N7
H7N9
H9N2

बर्ड फ्लू पक्षियों के जरिए ही इंसानों में फैलता है। इन वायरसों को HPAI (Highly Pathogenic Avian Influenza) कहा जाता है। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक है H5N1 बर्ड फ्लू वायरस।

H5N1 बर्ड फ्लू वायरस ज्यादातर दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। हालांकि इस वायरस ने दुनिया के लगभग सभी देशों को संक्रमित किया है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस ने साल 2008 में चीन, मिस्र, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और वियतनाम में 11 बार संक्रमण फैलाया। साल 2006 से लेकर अब तक H5N1 बर्ड फ्लू वायरस के 65 बार संक्रमण फैलाने के मामले सामने आ चुके हैं। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस के कुछ वैक्सीन भी बने हैं, जिन्हें ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, कनाडा जैसे देशों ने अपने पास जमा करके रखा है।

हवा से फैलता है

H5N1 बर्ड फ्लू वायरस के साथ एक सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसका वायरस हवा से फैलता है। साथ ही तेजी से म्यूटेशन भी करता है। इंसानों से इंसानों में इसके संक्रमण के मामले कम देखे गए हैं, लेकिन पक्षियों और जानवरों के जरिए इंसानों में इसका संक्रमण जरूर फैला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साल 2008 में फैले H5N1 बर्ड फ्लू वायरस की वजह से कुल संक्रमित लोगों में से 60% लोगों की मौत हुई थी।

पहली बार 1997 में वायरस ने इंसानों को किया संक्रमित

H5N1 बर्ड फ्लू वायरस ने सबसे पहले 1959 में स्कॉटलैंड में मुर्गियों को मारा था। इसके बाद इंग्लैंड में 1991 में टर्की पक्षी को मारा था। लेकिन तब तक यह इंसानों में नहीं फैला था। इंसानों को H5N1 बर्ड फ्लू वायरस ने पहली बार 1997 में संक्रमित किया। ये मामला था चीन के गुआंगडोंग का। इसके बाद हॉन्गकॉन्ग में 18 लोग इससे संक्रमित हुए। इनमें से 6 लोगों की मौत हो गई थी। ये पहली बार था जब H5N1 बर्ड फ्लू वायरस की वजह से इंसानों की मौत हुई है।

चीन से 1997 में निकले H5N1 बर्ड फ्लू वायरस ने 2003 में दक्षिण कोरिया में अपना रूप बदला और लोगों को संक्रमित करना शुरू कर दिया। तब से लेकर अब तक H5N1 बर्ड फ्लू वायरस यही रूप यानी म्यूटेशन वाला वायरस संक्रमण फैला रहा है।

H5N1 बर्ड फ्लू वायरस का यह एशियन वायरस बेहद संक्रामक और जानलेवा है। जब इसके फैलने की खबर आती है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सतर्कता बढ़ा दी जाती है। H5N1 बर्ड फ्लू वायरस के दो स्ट्रेन हैं। पहला नॉर्थ अमेरिकन यानी Low pathogenic avian influenza H5N1 (LPAI H5N1) और दूसरा एशियन लीनिएज Asian lineage HPAI A(H5N1)। एशियन लीनिएज ज्यादा खतरनाक है। नॉर्थ अमेरिकन H5N1 बर्ड फ्लू वायरस 1966 से लेकर अब तक 8 बार म्यूटेशन कर चुका है। जबकि, एशियन लीनिएज कि अब तक साइंटिस्ट गिनती भी नही कर पाए हैं।

माइग्रेटरी पक्षियों के जरिए भी फैलता है

H5N1 वायरस माइग्रेटरी पक्षियों के जरिए भी फैलता है। जैसे बत्तख, गीस, स्वान। ये हजारों किलोमीटर उड़कर प्रजनन के लिए आती-जाती हैं। इनमें से अगर एक भी पक्षी बर्ड फ्लू से संक्रमित है तो यह जिस देश में पहुंचती हैं, वहां पर संक्रमण फैला देता है। इनके संपर्क में आने वाले अन्य पक्षी भी संक्रमित हो जाते हैं। इसके बाद यह पोल्ट्री फार्म और फिर इंसानों तक पहुंच जाता है।

H5N1 बर्ड फ्लू वायरस मुर्गियों, कौवों, कबूतरों को भी संक्रमित करता है। यह संक्रमण किसी भी देश में स्थानीय स्तर पर होता है। इसकी वजह से स्थानीय स्तर पर इंसानों को भी संक्रमण हो जाता है। इसीलिए पक्षियों को मारा जाता है। जब भी किसी पोल्ट्री फार्म में पक्षियों को मारा जाता है तो उसके चारों तरफ 1 से 5 किलोमीटर की दूरी को प्रतिबंधित इलाका घोषित कर दिया जाता है। ये इलाका अत्यधिक निगरानी में रखा जाता है। 2 से 10 किलोमीटर की दूरी के बफर जोन माना जाता है। यानी अगर बीमारी फैलती है तो इस इलाके को प्रतिबंधित इलाका घोषित कर बफर जोन को बढ़ा दिया जाए। H5N1 वायरस को रोकने के लिए साल 2004 और 2005 में इसी तरह के प्रयास दुनियाभर में किए गए थे।

भारत सरकार के मुताबिक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो गई है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से एक कंट्रोल रूम बनाया गया है, जिसके जरिए देश में आ रहे ऐसे मामलों पर नज़र रखी जा रही है। केंद्र सरकार ने राज्यों को अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि जिन इलाकों में बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौतें हो रही हैं, वहां से सैंपल लेने की जरूरत है। अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों में फ्लू के लक्षणों वाले लोगों की पहचान करने के लिए अभियान भी शुरू किया है। राज्य सरकारों ने उन क्षेत्रों में कुछ प्रतिबंध लागू करने के भी आदेश दिए हैं जहां पक्षियों की मौत के मामले सामने आए हैं। ऐसी जगहों पर एक किलोमीटर के भीतर अगर कोई पोल्ट्री फॉर्म ​मौजूद है तो उसे भी नष्ट किया जा सकता है।

बर्ड फ्लू के लक्षण

बर्ड फ्लू एक खास तरह का श्वास रोग होता है यह रोग इतना खतरनाक होता है कि इससे संक्रमित व्यक्ति की जान भी जा सकती है। बर्ड फ्लू होने पर आपको कफ, डायरिया, बुखार, सांस से जुड़ी दिक्कत, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, नाक बहना और बेचैनी जैसी समस्या हो सकती है। अगर आपको लगता है कि आप बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए हैं तो किसी और के संपर्क में आने से पहले डॉक्टर को दिखाएं।

किन लोगों को होता है बर्ड फ्लू का खतरा

H5N1 में लंबे समय तक जीवित रहने की क्षमता होती है। संक्रमित पक्षियों के मल और लार में ये वायरस 10 दिनों तक जिंदा रहता है। दूषित सतहों को छूने से ये संक्रमण फैल सकता है। अगर इसके फैलने का सबसे ज्यादा खतरा मुर्गीपालन से जुड़े लोगों को होता है।

क्या है इलाज

अलग-अलग तरह के बर्ड फ्लू का अलग-अलग तरीकों से इलाज किया जाता है लेकिन ज्यादतर मामलों में एंटीवायरल दवाओं से इसका इलाज किया जाता है। लक्षण दिखने के 48 घंटों के भीतर इसकी दवाएं लेनी जरूरी होती हैं।

बर्ड फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के अलावा उसके संपर्क में आए घर के अन्य सदस्यों को भी ये दवाएं ली जाने की सलाह दी जाती है, भले ही उन लोगों में बीमारी के लक्षण ना हों।

कैसे करें बचाव

इन्फ्लूएंजा से बचने के लिए डॉक्टर आपको फ्लू की वैक्सीन लगवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा आप खुले बाजर में जाने, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने और अधपका चिकन खाने से बचें। हाइजीन बनाए रखें और समय-समय पर अपने हाथ धोते रहें।