सांडर्स को मारने के बाद भगत सिंह छिपे थे इस जगह, कम लोग ही जानते हैं इसके बारे में

अपनी क्रांतिकारी नीतियों और जोश से देश की आजादी की चाह रखने वाले भगतसिंह को सभी जानते हैं। भगतसिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए कई बलिदान दिए हैं। यहाँ तक कि 17 दिसंबर 1929 को शहीद भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसाने वाले ब्रिटिश अधिकारी जेपी सांडर्स को भी गोलियों से उड़ा दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके बाद पुलिस से बचने के लिए भगतसिंह को छिपना पड़ा था और वे कहाँ छिपे थे। तो आइये हम बताते हैं इसके बारे में.....

दिसंबर 1929 में शहीदों ने जब जेपी सांडर्स को मारने की योजना बनाई तो उन्होंने इसके लिए डीएवी कॉलेज के सामने ब्रिटिश पुलिस के दफ्तर के पास की जगह को चुना। शहीदों की योजना थी कि इस घटना को अंजाम देने के लिए वह डीएवी कॉलेज के छात्रावास से ही आएंगे और घटना को अंजाम देकर वहीं छिप जाएंगे।

सब कुछ तय योजना के तहत ही हुआ। शहीद डीएवी कॉलेज के छात्रावास में ही छिपे हुए थे। सांडर्स जैसे ही पुलिस के दफ्तर से बाहर आया तो उसकी रेकी कर रहे क्रांतिकारी जयगोपाल के इशारे के बाद भगत सिंह व राजगुरु ने सांडर्स पर गोलियां दाग दी। सांडर्स बच न जाए इसलिए भगत सिंह ने उस पर चार-पांच गोलियां और दाग दीं।

तभी दो हेड कांस्टेबल और इंस्पेक्टर फर्न ने राजगुरु व भगत सिंह पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। दोनों कॉलेज की ओर ही भागे। उधर, डीएवी कॉलेज के फाटक के पास चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह और राजगुरु का पीछा कर रहे दोनों हेड कांस्टेबल व इंस्पेक्टर फर्न पर गोलियां चला दी। इसमें एक हेड कांस्टेबल मारा गया, जबकि दूसरा हेडकांस्टेबल व फर्न बच गए।

उसके बाद चंद्रशेखर भी फरार हो गए और भगत सिंह व राजगुरु कॉलेज के छात्रावास में ही घुस गए। हालांकि अंग्रेजों ने पूरे कालेज व छात्रावास को खंगाला। लेकिन छात्रावास के रसोईये स्टाफ ने शहीदों को छिपाए रखा और शिक्षक की मदद से उन्हें बाद में सुरक्षित कालेज से निकाला।

जिसके बाद वह लाहौर से दिल्ली पहुंच गए और उन्होंने पोस्टर छपवाकर सार्वजनिक कर दिया कि ‘उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी बंसती देवी के सवाल का जवाब दे दिया है और लाला जी की मौत का बदला ले लिया है?’

उल्लेखनीय है कि लाला जी की मौत के बाद उनकी तेरहवीं पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में बसंती देवी ने संबोधन में यह सवाल छोड़ा था कि ‘क्या देश के नौजवानों का खून अब उबलना बंद कर गया है जो वह नेताओं को यूं मरते हुए देखते हैं।’ इसके बाद ही सांडर्स की मौत की योजना शहीदों ने बनाई थी।