28 सितम्बर 1907 को जन्मे भगतसिंह को देश की आजादी की लड़ाई में योगदान देने के लिए 23 मार्च 1931 में फांसी दे दी गई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फांसी की यह खबर चोरी-छिपे छपी थी अखबार में और इस अखबार की वजह से ही जनता जान पाई की भगतसिंह को फांसी कैसे दी गई। तो आइये जानते हैं इस किस्से के बारे में।
सन 1931 में अलीगढ़ के खैर के गांव वीरपुरा के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी श्याम बिहारी लाल इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘भविष्य’ की उन प्रतियों का एक बंडल किसी तरह अंग्रेजों से बचाकर ले अलीगढ़ ले आए। इसी अखबार से अलीगढ़ के लोगों ने जाना कि भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी किस अंदाज में दी गई होगी। 2005 में श्याम बिहारी लाल के निधन के बाद उनके बेटे निरंजन लाल इस अखबार की प्रतियां आज भी सुरक्षित रखे हैं। इंडस्ट्रियल एस्टेट में रहने वाले निरंजन लाल के लिए वह उनकी सबसे बड़ी संपदा है।
इस अखबार की खबरों से पता चलता है कि अंग्रेजी हुकूमत भगत सिंह की फांसी की सजा और उसके बाद बन रहे घटनाक्रम को दबा कर रखना चाहती थी। इसीलिए अंग्रेजों ने अखबारों पर इमरजेंसी लगा दी थी।
‘भविष्य’ अख़बार में छपी खबरों पर नजर
- पंजाब के तीनों विप्लववादी फांसी पर लटका दिए गए
- लाहौर में सनसनी, शहर भर में पुलिस, फौज और हवाई जहाजों का पहरा
- 50 हजार स्त्री पुरुषों का रोमांचकारी करुण क्रंदन
- कुटंबियों से अंतिम मुलाकात नहीं हो सकी