नई दिल्ली। केंद्रीय बजट पेश होने से एक दिन पहले कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि केंद्र को तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं करनी चाहिए- एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाना, स्वामीनाथन फार्मूले के आधार पर एमएसपी तय करना और कृषि ऋण माफी के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्थायी आयोग का गठन करना।
कांग्रेस महासचिव प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार की सभी विफलताओं में से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की अक्षमता और दुर्भावना सबसे अधिक नुकसानदायक है। रमेश ने एक बयान में कहा, जबकि यूपीए ने गेहूं के एमएसपी में 119% और चावल के एमएसपी में 134% की वृद्धि की थी, मोदी सरकार ने इसे क्रमशः 47% और 50% बढ़ाया है। यह मुद्रास्फीति और कृषि इनपुट की बढ़ती कीमतों को बनाए रखने के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसानों का कर्ज काफी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के अनुसार, 2013 से बकाया ऋण में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रमेश ने कहा, आधे से ज़्यादा किसान कर्ज में डूबे हुए हैं। 2014 से अब तक हमने 1 लाख से ज़्यादा किसानों को आत्महत्या करते देखा है।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को आगामी बजट में किसानों के कल्याण के लिए तीन अहम घोषणाएँ करनी चाहिए: स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाए गए C2+50% फॉर्मूले के अनुरूप, MSP के अंतर्गत आने वाली 22 फसलों के लिए MSP बढ़ाएँ। रमेश ने कहा कि सरकार को MSP को कानूनी दर्जा देना चाहिए और रणनीतिक खरीद, बेहतर विनियमन और मूल्य अंतर मुआवज़ा सहित इसे दृढ़ता से लागू करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, इसके लिए सिर्फ़ दृढ़ संकल्प और साहस की ज़रूरत है। रमेश ने कृषि ऋण माफ़ी की ज़रूरत, उसके परिमाण का आकलन करने और उसके कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना का भी आह्वान किया। उन्होंने हिंदी में अपने बयान में कहा कि यह बहुत ज़रूरी कदम कर्ज में डूबे किसानों को राहत प्रदान करेगा।
रमेश ने कहा, याद रखें कि केंद्र सरकार के पास ये तीनों कदम उठाने की पूरी शक्ति है। वह बस इस बात का इंतजार कर रही है कि स्वयंभू गैर-जैविक प्रधानमंत्री कुछ हिम्मत दिखाएं और अपनी जिद छोड़कर किसानों के हित में फैसला लें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा, नवंबर 2021 में तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद स्वयंभू गैर-जैविक प्रधानमंत्री ने एमएसपी से जुड़े मामलों की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की। समिति बनाने में सरकार को आठ महीने लग गए - और दो साल बाद भी इसने अभी तक अंतरिम रिपोर्ट जारी नहीं की है।
उन्होंने तर्क दिया कि अगर सरकार चाहती तो अब तक रिपोर्ट जारी हो चुकी होती और एमएसपी को कानूनी दर्जा मिल चुका होता। उन्होंने कहा कि तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने राज्य के किसानों के कृषि ऋण माफ करना शुरू कर दिया है।
रमेश ने कहा, इससे दो लाख रुपये तक के कर्ज वाले कुल 40 लाख किसानों को राहत मिलेगी। वर्ष 2008 में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 72,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफ किए थे। इससे बड़ी संख्या में किसानों को लाभ मिला था, जिनमें उत्तर प्रदेश के 54 लाख किसान, महाराष्ट्र के 42 लाख किसान, हरियाणा के 8.9 लाख किसान, बिहार के 17.6 लाख किसान और झारखंड के 6.66 लाख किसान शामिल थे।
उन्होंने कहा, गैर-जैविक प्रधानमंत्री की सरकार ने पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये के बैंक ऋण माफ किए हैं। लेकिन दूसरी ओर, इस वर्ष आरबीआई से रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश प्राप्त करने के बावजूद, इसने किसानों के कृषि ऋण का एक भी रुपया माफ नहीं किया है। क्या स्वयंभू गैर-जैविक प्रधानमंत्री, जो 4 जून
को निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार के घावों से अभी भी उबर रहे हैं, कृषि कल्याण के लिए ये महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे?।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को बजट पेश करेंगी।