जाने क्यों की गई भगवान राम की मूछों वाली मूर्ति की मांग?

राम की नगरी अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) निर्माण को लेकर के बुधवार को होने वाले भूमि पूजन के लिए तैयार है। अयोध्या में जहां रामलला के भव्य मंदिर की आधारशिला रखने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंच रहे हैं तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यानथ खुद तैयारियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। गौरी गणेश के पूजन के साथ ही अनुष्ठान की शुरुआत भी हो चुकी है। वहीं, भूमि पूजन से पहले मांग उठ रही है कि भगवान राम की जो मूर्ति लगे, उसकी मूछें भी होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के दिग्गज नेता रहे और अब अपना अलग हिंदुत्ववादी संगठन चलाने वाले महाराष्ट्र के संभाजी भिड़े ने मांग की है कि अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में भगवान राम की जो मूर्ति लगे, उसकी मूछें भी होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि असली भगवान राम की मूर्ति तो मूंछों के साथ ही होनी चाहिए। इसके बाद सवाल खड़ा हो गया कि क्या भगवान राम की मूछें थीं। इसे लेकर अलग अलग बातें कही जाती रही हैं।

हमारे देश में कई जगह देवताओं की मूर्तियां मूछों के साथ हैं लेकिन ज्यादातर नहीं। संभाजी ने जो पुरजोर तरीके से कहा है कि अगर भगवान राम की मूर्ति की मूछें नहीं होंगी तो सही तरीके से भगवान राम को जाहिर नहीं करेंगी। हालांकि देश-विदेश में भगवान राम के जितने भी मंदिर और मूर्तियां हैं, वो सभी बगैर मूछों के ही हैं। उनकी मूर्ति को लेकर ये विवाद कभी खड़ा भी नहीं हुआ। ऐसा पहली बार हो रहा है।

वैसे भगवान राम के जिस अवतार का वर्णन वेदों में हुआ है, उसमें कहीं ये उल्लेख नहीं मिलता कि उनकी मूछें थीं या नहीं थीं, लेकिन वो जिस युग में धरती पर आए, उसको त्रेता युग माना जाता है, तब आमतौर पर सनातन धर्म में मूछों और धनी दाढ़ी रखने का रिवाज था। हालांकि देश में एकाध जगह भगवान राम के ऐसे मंदिर जरूर हैं, जहां उनके रूप में मूछों के साथ जोड़ा गया है।

इंदौर के मंदिर में है भगवान राम और लक्ष्मण की मूछों वाली मूर्ति

मध्य प्रदेश के इंदौर में श्रीराम का एक ऐसा मंदिर है, जहां उनकी मूंछे हैं। उनके अलावा लक्ष्मण की भी मूंछें हैं। कुमावतपुरा में स्थित इस मंदिर को 150 साल पुराना बताया जाता है।

लोगों में ऐसी मान्यता है कि अगर दशरथ की दाढ़ी-मूंछें हो सकती हैं तो राम की भी मूंछें जरूर होंगीं। इसके अलावा राजस्थान के एक मंदिर में हनुमान की मूर्ति की भी मूंछें हैं। यह मंदिर हनुमानजी की इन मूंछों के कारण ही लोकप्रिय है।

हिंदू धर्म में ब्रह्मा को छोड़कर किसी देवता की तस्वीरों या मूर्तियों की मूछें सामान्यतः नहीं होतीं। कुछ जगहों पर शिव की मूर्तियों में मूंछें दिखाई पड़ती हैं लेकिन विष्णु, कृष्ण, राम और अन्य देवताओं की बिना मूंछों वाली मूर्तियां ही हमारी नजर में हैं। देवताओं की मूर्तियां आमतौर पर उनके चिर किशोर रूप में बनाई जाती है। इसे ध्यान में रखकर मूर्तियों या तस्वीरों में मूंछें नहीं बनाई जातीं।

कहा जाता है कि पुराने या आदिम समाजों में देवता मूंछों वाले हो सकते थे, लेकिन सभ्यता शुरू होने के बाद और नगरों के उदय के बाद मूर्तियों और पूजा की जो परंपरा रही, उसमें भगवान के युवा रूप को ही साकार माना जाता है। केवल उत्तर ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी ऐसी ही मूर्तियों का रिवाज है। बस उत्तर भारत में देवताओं की सभी मूर्तियों में उन्हें गौरवर्ण दिखाया जाता है जबकि दक्षिण भारत की मूर्तियों की शैली भी अलग है और उसमें मूर्तियों में देवता अमूमन काले रंग में होते हैं।

बता दे, मंदिर को लेकर तैयारियों के संबंध में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के चंपत राय ने बताया कि देशभर के 135 संतों को आमंत्रित किया गया है। भूमि पूजन कार्यक्रम में देश के हर हिस्से के लोगों की भागीदारी होगी। भूमि पूजन पर आजतक आज मंगलवार को दिनभर का विशेष 'धर्म संसद' कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।