जैसे वेटिकन में मस्जिद, या मक्का में चर्च नहीं बना सकता, वैसे अयोध्या में भी मंदिर के अलावा कुछ और नहीं बन सकता : उमा भारती

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को हल करने के लिए आज सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने मध्यस्थता का रास्ता चुना है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए केस का समाधान करने के लिए कुल तीन मध्यस्थका पैनल नियुक्त किए हैं। अयोध्या मामले में मध्यस्थता को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी की फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने कहा कि यह देश सेक्युलर है, इसलिए जहां राम लला विराजमान हैं, भव्य मंदिर का निर्माण वहीं पर हो सकता है। यह देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन जिस तरह वेटिकन में कोई मस्जिद, या मक्का में कोई चर्च नहीं बना सकता, वैसे ही अयोध्या में भी मंदिर के अलावा कुछ और नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि अयोध्या में सिर्फ राम और राम के परीजनों का ही स्थान हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करती हूं। कोर्ट ने एक अच्छी पहल की है, जड़ता टूटी है। 2010 के बाद जड़ता टूटी नहीं थी। हिंदुओं को ऐसा ना माना जाए कि सारे एक्सपेरिमेंट उन पर ही होंगे। उमा भारती ने कहा कि आयोध्या में बाकी सभी मस्जिद का सम्मान, अगर वो बिगड़ी तो उनके लिए कुछ पैसा मैं भेज दूंगी लेकिन उस जगह पर तो मंदिर बनना चाहिए।

बता दें कि देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए केस का समाधान करने के लिए कुल तीन मध्यस्थका पैनल नियुक्त किए हैं। जिनमें एक मध्यस्थ सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कलीफुल्ला (Kalifulla) हैं तो दूसरे वकील श्रीराम पांचू (Sriram Panchu) और मीडिएटर हैं, जबकि तीसरे मध्यस्थ आध्यात्मिक गुरु श्री-श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) हैं। इस पैनल की अध्यक्षता जस्टिस कलीफुल्ला करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मध्यस्थता की कार्रवाई पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की जानकारी हमें सीलबंद लिफाफे में दें।