राम मंदिर निर्माण से जुड़े मामलों को देखने के लिए बनाई गई अयोध्या डेस्क, ये होगा काम

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राममंदिर के निर्माण से जुड़े मामलों को अलग से देखा जाएगा। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) में विशेष अयोध्या डेस्क (Ayodhya Desk) बनाई गई है। को अलग से देखा जाएगा। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) में विशेष अयोध्या डेस्क (Ayodhya Desk) बनाई गई है। गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या मामले को निपटाने और हैंडल करने के लिए अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय की यह नई विंग अयोध्या मुद्दे से जुड़े सभी मामलों को देखेगी। खास बात यह है कि जम्मू-कश्मीर विभाग के प्रमुख के रूप में ज्ञानेश कुमार ने पांच अगस्त को राज्य के विभाजन और अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने में अहम भूमिका निभाई थी। यही डेस्क सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) को पांच एकड़ जमीन देने, मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन और उसके बाद ट्रस्ट को जमीन का मालिकाना हक ट्रांसफर करने जैसे सभी मामले भी देखेगी। बता दें कि राम मंदिर निर्माण के लिए अभी तक ट्रस्ट का गठन नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने का समय दिया था, जो नौ फरवरी को पूरा होगा। बताया जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद कभी भी ट्रस्ट के गठन की घोषणा की जा सकती है।

मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के स्वरूप पर हालांकि कोई फैसला नहीं हुआ है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ट्रस्ट 11 सदस्यीय हो सकता है। इसमें सरकारी प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के जिलाधिकारी (डीएम) या फैजाबाद के कमिश्नर को स्थान दिया जाएगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार के एक अधिकारी को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाने का निर्देश दिया है। किसी ऐसे व्यक्ति को इसमें स्थान नहीं मिलेगा, जो मंदिर निर्माण के लिए अपना पूरा समय नहीं दे पाए। सरकार के सामने ट्रस्ट की स्वायत्तता पहली प्राथमिकता है, ताकि भविष्य में इसका बेजा इस्तेमाल नहीं हो सके। ट्रस्ट के गठन और मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन का काम भी देखेंगे।

बीजेपी के स्तर पर यह पहले ही साफ किया जा चुका है कि पार्टी का कोई भी नेता ट्रस्ट में शामिल नहीं होगा। यही नहीं विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने भी साफ कर दिया कि उसका कोई पदाधिकारी सीधे तौर पर ट्रस्ट का सदस्य नहीं बनेगा। लेकिन पिछले तीन दशकों से मंदिर निर्माण की तैयारी में जुटे रामजन्मभूमि न्यास को इसमें स्थान मिल सकता है।