अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद सुलझाने के लिए SC की तरफ से नियुक्त तीन मध्यस्थ, जाने उनके बारे में

सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने मध्यस्थता के जरिए राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले को सुलझाने का फैसला लिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए केस का समाधान करने के लिए कुल तीन मध्यस्थका पैनल नियुक्त किए हैं। जिनमें एक मध्यस्थ सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कलीफुल्ला (Kalifulla) हैं तो दूसरे वकील श्रीराम पांचू (Sriram Panchu) और मीडिएटर हैं, जबकि तीसरे मध्यस्थ आध्यात्मिक गुरु श्री-श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) हैं। इस पैनल की अध्यक्षता जस्टिस कलीफुल्ला करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मध्यस्थता की कार्रवाई पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की जानकारी हमें सीलबंद लिफाफे में दें। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त तीनों मध्यस्थों के बारे में जानिए।

जस्टिस कलीफुल्ला (Kalifulla): स्वर्गीय जस्टिस फकीर मोहम्मद के बेटे हैं। उनका जन्म 23 जुलाई 1951 को हुआ। जस्टिस कलीफुल्ला तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के कराईकुडी के रहने वाले हैं। 20 अगस्त 1975 से उन्होंने बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की थी। अप्रैल 2012 में वह सुप्रीम कोर्ट में जज बने थे। 2016 में वह सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए। सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में कार्यरत रहे। जहां वह कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने थे। पहली बार उन्होंने दो मार्च 2000 को न्यापालिका में बतौर जज कदम रखा, जब मद्रास हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश के तौर पर तैनाती मिली। 22 जुलाई 2016 को रिटायर्ड हो गए।

श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar): रविशंकर का जन्म तमिलनाडु में 13 मई 1956 को हुआ। उनके पिता का नाम वेंकट रत्न था जो भाषाविद थे। आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए पिता ने उनका नाम रविशंकर रखा। रविशंकर धर्म और अध्यात्म के प्रख्यात गुरु हैं। दुनिया भर में उनकी पहचान है। श्री श्री रविशंकर के अनुयायी न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी फैले हुए हैं। श्री श्री रविशंकर आर्ट ऑफ लिविंग नाम की एक संस्था चलाते हैं। जिसके जरिए वह लोगों को जीने की कला सिखाते हैं। 1982 में रविशंकर ने ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की। सुदर्शन क्रिया ऑर्ट ऑफ लिविंग कोर्स का आधार है। रविशंकर पहले महर्षि योगी के शिष्य थे। उन्होंने तब अपने नाम के आगे श्री श्री लगाना शुरू किया, जब प्रख्यात सितार वादक रविशंकर ने आरोप लगाया था कि वे उनके नाम की प्रसिद्धि का लाभ उठा रहे हैं। युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए श्री श्री रविशंकर ने सहायता कैम्प भी लगवाया है। इराक में भी संस्था ने 2003 में युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताए। इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर श्री श्री रवि शंकर ने इराक का दौरा किया और वहां के शिया, सुन्नी तथा कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की।

श्रीराम पांचू (Sriram Panchu) : श्रीराम पांचू चेन्नई के रहने वाले हैं। वह मद्रास हाई कोर्ट के वकील होने के साथ मशहूर मध्यस्थ यानी मीडिएटर हैं। कई केस में बतौर मीडिएटर और आर्बिट्रेटर वह सुलह-समझौते करवा चुके हैं। वह मीडिएशन चैंबर्स के फाउंडर हैं। यह फाउंडेशन मध्यस्थता कराने के लिए जाना जाता है। वह इंडियन मीडिएटर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट होने के साथ ही इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट(आईएमआई) के डायरेक्टर हैं। उन्होंने 2005 में उन्होंने भारत का पहला मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया। उन्होंने मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कॉमर्शियल, कारपोरेट और कांट्रैक्चुअल झगड़ों का निपटारा किया। वह मध्यस्थता पर Mediation: Practice & Law सहित दो किताबें लिख चुके हैं।

बता दें कि कोर्ट ने पैनल से कहा है कि चार हफ्ते में पहली रिपोर्ट दें और आठ हफ्ते के अंदर पूरी रिपोर्ट सौंप दें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाए। किसी भी पक्ष की राय लीक न की जाए न हीं इसकी कोई रिपोर्टिंग की जाए।