पहली पुण्यतिथि : 'अटल जी' के विशाल व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ खास बातें...

आज 16 अगस्त, 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि (Atal Bihari Vajpayee First Death Anniversary) है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी अड्डा समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने भी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी। अटल जी की बेटी नमिता कौल भट्टाचार्य और पोती निहारिका ने भी स्मृति स्थल पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बतौर राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी हर मुमकिन ऊंचाई तक पहुंचे, वे प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले ग़ैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सबसे पहले 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने। सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने बाद 1999 में फिर आम चुनाव हुए। 13 अक्टूबर 1999 को वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस बार उन्होंने 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। 2014 के दिसंबर में अटलजी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। मार्च 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटोकॉल तोड़ा और अटल जी को उनके घर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया।

एक नजर 'अटल जी' के विशाल व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ अहम बातों पर...

- चमत्कारिक व्यक्तित्व

बात 1957 की है जब अटल ब‍िहारी वाजपेयी बलरामपुर लोकसभा सीट से 10 हजार वोटों से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। पिछली हार से सबक लेते हुए 1962 के आम चुनाव में कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए गांधीवादी शुभद्रा जोशी को उनके ख‍िलाफ मैदान में उतारा था। दोनों ही भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा रहे थे, लेकिन विचारधारा के स्तर पर अलग थे।

पहली बार संसद पहुंचे युवा अटल का भाषण सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बेहद प्रभावित हुए। वे उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री मानते थे। वाजपेयी को बलरामपुर सीट से कांग्रेस की जीत के लि‍ए उन्होंने बड़ा खतरा माना। मतदाताओं पर अपना प्रभाव जमाने के लिए उन्होंने शुभद्रा जोशी के पक्ष में लोक्रप्रिय फिल्म अभ‍िनेता बलराज साहनी से चुनाव प्रचार कराया। नतीजतन, वाजपेयी चुनाव हार गए।

- दूसरों के लिए प्रेरणस्रोत

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी बेहद नम्र इंसान थे और वह अंहकार से कोसों दूर थे। पिछले साल उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वाजपेयी के बारे में कहा था, 'पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी में अहंकार बिल्कुल भी नहीं था और मैं उन्हीं से प्रेरित होकर विनम्रता को आत्मसात करने का प्रयास करता रहता हूं।' राष्ट्रपति ने कहा ने संसद में उनके साथ का अनुभव साझा करते हुए बताया था, 'जब वो देश के प्रधानमंत्री थे, उस समय मैं राज्यसभा सांसद था। संसद के गलियारों में हमेशा मेरा और उनका आमना-सामना हो जाता था। मैंने देखा कि ऐसे अवसरों पर वाजपेयी दूर से ही नमस्कार किया करते थे।'

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'वाजपेयी के इस व्यवहार को देखकर मुझे कभी-कभी आत्मग्लानि भी होती थी कि कहां मैं एक छोटा सा सांसद और कहां वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री। वाजपेयी में अहंकार की भावना दूर-दूर तक नहीं थी और मैं हमेशा सोचता था कि अहंकार मुक्त सार्वजनिक जीवन बहुत अच्छा होता है। ये मैंने उन्हीं से सीखा और मैं अपने जीवन में भी इस विनम्रता को आत्मसात करने का प्रयास करता रहता हूं।'

- वाकपटुता और चार्तुय शैली

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने उन्हें याद करते हुए कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी मेयर चुनाव के दौरान मेरे समर्थन में सभा करने लखनऊ पहुंचे थे। उन्हें तेज बुखार था। उन्होंने भाषण की शुरुआत की और कहा कि वो अपनी छवि मुझमें देखते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में जनता से कहा कि अगर वो वाकई इस नारे को मानती है कि 'हमारा नेता कैसा हो, अटल बिहारी जैसा हो' तो उसे मेरा समर्थन करना चाहिए।'

दिनेश शर्मा ने आगे कहा, 'वाजपेयी के भाषणों का जनता पर बहुत असर होता था। उन्होंने जनता से पूछा कि अगर वो केवल कुर्ता पहनें और पायजामा न पहनें तो कैसे दिखेंगे? अटल के इस सवाल पर जनता हैरत में थी कि दरअसल वाजपेयी कहना क्या चाहते हैं? इस बीच किसी ने कहा ।।। खराब दिखेंगे। इस पर तुरंत वाजपेयी ने कहा कि लखनऊ से सांसद का चुनाव जिताकर आप लोगों ने मुझे कुर्ता दिया। मुझे नगर निगम मेयर चुनाव में जीत दर्जकर पायजामा भी चाहिए।'

- मिलनसार व्यक्तित्व

वाजपेयी के निधन के एक दिन बाद जया जेटली ने एक तस्वीर टि्वटर पर शेयर की थी, जो उनकी बेटी अदिति और पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा की शादी की है। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी और माधुरी दीक्ष‍ित साथ नजर आते हैं। जया ने इसका खुलासा किया कि जब माधुरी दीक्षित वहां से जाने लगीं तो वाजपेयी ने उन्हें मिलने के लिए गेट से वापस बुलाया था।

- पितृतुल्य इंसान

उनके निधन पर लता मंगेशकर ने लिखा कि उनके निधन से मेरे सर पर पहाड़ सा टूट पड़ा है। वो मेरे लिए पिता समान थे। लता मंगेशकर ने कहा, 'पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के स्वर्गवास की खबर सुनकर मुझे ऐसे लगा जैसे मेरे सर पर पहाड़ टूटा हो। क्योंकि मैं उनको पिता समान मानती थी और उन्होंने मुझे अपनी बेटी बनाया था।' उन्होंने आगे कहा, 'मुझे वो इतने प्रिय थे कि मैं उनको दद्दा कहके बुलाती थी। अटलजी के भाषण में सब सच होता था। वे सच्चे और अच्छे इंसान थे। कभी किसी का दिल नहीं दुखाया।'

बता दे, अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता।

अटल जी ने किशोर वय में ही एक अद्भुत कविता लिखी थी - ''हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय, जिससे यह पता चलता है कि बचपन से ही उनका रुझान देश हित की तरफ था।

राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।

अटल जी की प्रमुख रचनायें

- रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
- मृत्यु या हत्या
- अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
- संसद में तीन दशक
- अमर आग है
- कुछ लेख: कुछ भाषण
- सेक्युलर वाद
- राजनीति की रपटीली राहें
- बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि
- मेरी इक्यावन कविताएँ