
मुंबई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), जो आज भारत के सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों में से एक है, साल 2025 में अपने 150 वर्ष पूरे करने जा रहा है। यह उपलब्धि केवल समय की बात नहीं है, बल्कि देश की आर्थिक यात्रा और विकास की एक ऐतिहासिक कहानी भी बयां करती है। बीएसई की स्थापना 9 जुलाई 1875 को मुंबई के टाउन हॉल के पास हुई थी, लेकिन इसकी नींव करीब दो दशक पहले 1855 में ही रख दी गई थी।
बरगद के पेड़ से पीजे टावर्स तक का सफरबीएसई की शुरुआत बेहद साधारण तरीके से हुई थी। शुरुआती दौर में कुछ व्यापारी बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठा होकर कॉटन की खरीद-फरोख्त किया करते थे। जैसे-जैसे व्यापार बढ़ा, वैसे-वैसे जरूरत एक संगठित व्यवस्था की महसूस हुई और 1875 में नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन का गठन हुआ, जो आगे चलकर बीएसई के रूप में जाना गया।
यह विशेष उल्लेखनीय है कि बीएसई की स्थापना जापान के टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज से भी तीन साल पहले हुई थी, जिस कारण इसे एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज माना जाता है।
'कॉटन किंग' प्रेमचंद रॉयचंद और बीएसई की नींवबीएसई के प्रमुख संस्थापकों में प्रेमचंद रॉयचंद का नाम विशेष रूप से लिया जाता है, जिन्हें 'बंबई का कॉटन किंग' कहा जाता था। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रारंभिक समय में एसोसिएशन के 318 सदस्य थे और इसमें शामिल होने के लिए केवल एक रुपये का शुल्क लिया जाता था।
1928 में खरीदी गई जमीन, 1970 में बना पीजे टावर्सबीएसई को आज जिस स्थान पर देखा जाता है, वह भूमि 1928 में खरीदी गई थी और यहां 1930 में भवन निर्माण का कार्य शुरू हुआ। मौजूदा बीएसई भवन पीजे टावर्स को 1970 में तैयार किया गया था, जिसका नाम बीएसई के पूर्व चेयरमैन फिरोज जमशेदजी जीजीभॉय के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 1966 से 1980 तक बीएसई का संचालन किया।
सेंसेक्स की ऐतिहासिक उड़ान1986 में, बीएसई ने भारत का पहला स्टॉक इंडेक्स – सेंसेक्स लॉन्च किया, जिसकी शुरुआत 100 के आधार से हुई थी।
• 1990 में सेंसेक्स ने पहली बार 1,000 अंक पार किए।
• 1999 में यह 5,000 पर पहुँचा।
• 2007 में इसने 20,000 का आंकड़ा पार किया।
• और 2024 में सेंसेक्स ने ऐतिहासिक 80,000 अंक को भी छू लिया।
आज का बीएसई: एक वैश्विक ताकतवर्तमान में बीएसई पर 4,100 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हैं, और इसका मार्केट कैप 419 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो चुका है। यह आंकड़ा न केवल बीएसई की विशालता को दर्शाता है, बल्कि भारत की आर्थिक प्रगति का भी प्रमाण है।
2025 में जब बीएसई अपने 150वें स्थापना वर्ष में प्रवेश करेगा, तो यह सिर्फ एक स्मृति नहीं, बल्कि एक प्रेरणा होगी – उस रास्ते की, जिसे भारत ने निवेश, व्यापार और आर्थिक विकास के क्षेत्र में तय किया है।