PM मोदी का शपथ ग्रहण समारोह : शीला दीक्षित को नहीं मिला न्यौता, केजरीवाल-ममता होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 30 मई को राष्ट्रपति भवन में शाम 7 बजे प्रधानमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह में सभी राज्य के मुख्यमंत्रियों के अलावा सरकार ने बिम्सटेक (BIMSTEC) समूह के नेताओं को भी आमंत्रित किया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने मेहमानों की पुष्टि कर दी है।

30 मई को बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन म्यिंट, किर्गीज राष्ट्रपति जीनबेकोव और भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। इनके अलावा मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और थाईलैंड के विशेष दूत ग्रिसाडा बूनरैक भी मोदी के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

वहीं दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष और तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का कोई निमंत्रण नहीं मिला है।

ममता बनर्जी और केजरीवाल होंगे शामिल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में 36 का आंकड़ा देखने को मिला। कई बार ऐसी स्थिति बनी कि जब दोनों दलों के दिग्गज नेताओं के बीच काफी तनावपूर्ण बयान देखने-सुनने को मिले और लगा कि दोनों पार्टियों के नेताओं में रिश्ते सामान्य होने में काफी वक्त लग जाएगा। ममता ने कहा, 'मैंने अन्य मुख्यमंत्रियों से भी बात की है। चूंकि यह एक औपचारिक कार्यक्रम है, इसलिए हमने इसमें भाग लेने के बारे में सोचा है।' पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ घमासान के बावजूद 22 सीटें जीतने में ही कामयाब हो पाई। बीजेपी को 18 और कांग्रेस को दो सीटें मिली हैं। बीजेपी की इस जीत में मुकुल रॉय और बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की बड़ी भूमिका मानी गई। इस चुनाव में बीजेपी के लिए जबरदस्त नतीजे पश्चिम बंगाल से आए जहां उसने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के पसीने छुड़ा दिए। आठ साल से सत्तारूढ़ तृणमूल को अमित शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी ने सबसे बड़ा उलटफेर दिखाया।