इमरान खान के तख्तापलट की तैयारी में PAK सेना!

कश्मीर (Kashmir) से आर्टिकल 370 (Article 370) हटाए जाने को लेकर तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के हाथों मिली कूटनीतिक हार और बुरी हालत में चल रही अर्थव्यवस्था ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को मुश्किलों में डाल दिया है। पाकिस्तान की बदहाल होती आर्थिक व्यवस्था की वजह से इमरान खान बूरी तरह घिरते जा रहे है। दरअसल, पाकिस्तान के हालात पर करीबी नजर डालें तो प्रतीत होता है कि इमरान खान ने गरीबी से जूझ रहे देश को और कंगाल बन दिया है। इमरान ने अगस्त 2018 में पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी और इकॉनमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद से पाकिस्तान की हालत और भी खराब हो गई है। इस साल जुलाई अप्रैल के बीच विदेशी निवेश में 51.7 फीसदी की कमी आई है। विदेशी प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में भी 64.3 फीसदी की गिरावट आई है। इन सबके बीच पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कमर बाजवा ने गुरुवार को देश के बड़े व्यापारियों के साथ बैठक की, जिसके बाद से पाकिस्तान में तख्तापलट पर चर्चा शुरू हो गई है।

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने गुरुवार को इस बैठक की जानकारी दी और एक प्रेस नोट जारी किया। इसके अनुसार, 'पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा उसके बिजनेस से जुड़ी है, इसी वजह से आज सेना प्रमुख ने देश के बड़े व्यापारियों के साथ बैठक की।'

दरअसल, यह माना जा रहा है कि इमरान खान की नीतियों से पाकिस्तान के बड़े बिजनेसमैन परेशान चल रहे हैं, इसी वजह से उनकी परेशानी को जानने के लिए कमर बाजवा यह बैठक रखी थी। कमर बाजवा अक्सर सेना की वर्दी में ही नज़र आते हैं लेकिन यहां वह वर्दी नहीं बल्कि सूट-बूट में बैठक करते नज़र आए। इस बैठक के बाद पाकिस्तान में तख्तापलट की बातें जोर पकड़ रही है। मीडिया चैनल में एक्सपर्ट भी इस बात को रख रहे हैं कि पाकिस्तान में अब लोग नए विकल्प को ढूंढ रहे हैं लेकिन सेना से बड़ा विकल्प कोई नहीं है। ऐसे में अब तख्तापलट ही सबसे बड़ा रास्ता है।

पहले भी पाकिस्तान में सेना तख्तापलट कर चुकी है

बता दे, इससे पहले भी पाकिस्तान में सेना तख्तापलट कर चुकी है। फिर चाहे वो 1958, 1969, 1977 और 1999 ही क्यों ना हो। पाकिस्तान की जनता में भी सरकार के खिलाफ नाराजगी है। इमरान खान (Imran Khan) देश को आर्थिक संकट से उबारने में फेल होते नजर आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के मसले को भी इमरान नहीं संभाल पाए, जिसकी बातें विपक्ष भी कर रहा है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले आतंकियों और सेना ने खुले तौर पर इमरान खान का समर्थन किया था, लेकिन इमरान खान कामकाज संभाल नहीं पाए। ना ही अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पाकिस्तान में कुछ हो पाया और ना ही जम्मू-कश्मीर के मसले पर कुछ हो पाया।

पाकिस्तान की बर्बादी में इमरान खान का बड़ा हाथ

पाकिस्तान की इकॉनिमक ग्रोथ की बात करे तो इसमें पहले भारी गिरावट आई है। 5.5 फीसदी चलने वाली ग्रोथ अब गिरकर 3.3 फीसदी पर पहुंच गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल ये 2.4 फीसदी तक पहुंच सकता है। एशियन डेवलपमेंट आउटलुक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान की नीतियों को लेकर अनिर्णय व वित्तीय तथा बाह्य आर्थिक असंतुलनों की वजह से निवेश में कमी आई है जिसकी वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में विकास में कमी देखी गई। वही इसके साथ-साथ पाकिस्तानी रुपये भी भारी गिरावट आ रही है। पिछले साल अगस्त में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत 122 रुपये थी वही अब ये 156 रुपये पर तक पहुंच गई है। मंहगाई दर की बात करे तो इमरान खान के पीएम बनने के बाद इसमें भारी इज़ाफा हुआ है। पिछले साल मंहगाई दर 3.9 फीसदी थी जो अब बढ़कर 7.3 फीसदी पर पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि ये अगले साल 13 फीसदी तक पहुंच सकता है।