अन्ना हजारे ने तोड़ा अनशन, फडणवीस ने पिलाया जूस, सरकार ने मान ली सारी मांगें

23 मार्च से सशक्त लोकपाल और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग लेकर रामलीला मैदान पर बैठे समाजसेवी अन्ना हजारे ने गुरुवार को अपना अनशन तोड़ दिया। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अनशन स्थल पर पहुंचकर अन्ना को सरकार की तरफ से उनकी मांगों को पूरी करने का आश्वासन दिया। इसके बाद अन्ना ने अपना अनशन तोड़ दिया है। अन्ना को महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जूस पिलाकर उनका अनशन तोड़ा।

बता दें कि लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति के अलावा अन्ना हजारे ने अपनी विभिन्न मांगों के चलतेदिल्ली के रामलीला मैदान में बेमियादी भूख हड़ताल शुरू की थी। भारतीय किसान यूनियन समेत देश के कई दूसरे किसान संगठनों ने अन्ना के इस आंदोलन को समर्थन दिया। अन्ना ने कहा था कि जब तक उनके शरीर में प्राण हैं, वह अनशन खत्म नहीं करेंगे। अन्ना के इस अनशन में उनके पुराने सहयोगी अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया नहीं आए थे। दरअसल, अन्ना ने राजनीतिक लोगों को इस अनशन से दूर रहने को कहा था।

अनशन तोड़ने के बाद अन्ना ने कहा, 'सरकार ने किसानों से संबंधित सभी मांगें मान ली है। अभी लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन नहीं हुआ है। सरकार ने हमें 6 महीने का समय मांगा है। हम उन्हें समय देते हैं। सरकार ने हमारी मांगों को पूरी करने का आश्वासन दिया है। महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस कह रहे हैं कि वह 6 महीने से पहले ही हमारी मांगों को पूरी करने की कोशिश करेंगे। इस आंदोलन में शामिल सभी संगठनों का धन्यवाद।'

छह दिन से अनशन कर रहे समाजसेवी अन्ना हजारे की तबीयत बुधवार को बेहद नाजुक हो गई थी। छह दिन में उनका साढ़े पांच किलो वजन घट गया था। बोलने में दिक्कत के चलते वह शाम को समर्थकों को संबोधित भी नहीं कर पाए थे। डॉक्टरों की टीम ने अन्ना को आराम कक्ष में रहने की सलाह दी थी। केंद्र सरकार का कोई नुमाइंदा या संदेश रामलीला मैदान नहीं पहुंचा था।

बुधवार सुबह करीब 10 बजे अन्ना ने समर्थकों और प्रेस को सरकार के ड्राफ्ट की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि सरकार ने 15 पृष्ठीय अस्पष्ट ड्राफ्ट भेजकर उन्हें गुमराह करने की कोशिश की है। सरकार ने किसानों को खर्च पर डेढ़ गुना अधिक राशि देने की शर्त मानी, लेकिन यह नहीं बताया कि राशि किस तरीके से दी जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान को निर्धारित से कम दाम मिलता है तो सरकार भरपाई सुनिश्चित करे।

मसौदे में कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के बारे में भी कोई स्पष्ट बात नहीं कही गई है। ड्राफ्ट में लोकपाल और लोकायुक्त नियुक्ति की मांग चुनाव आयोग के पास भेजने की बात कही गई है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं दिया गया है।