
आंध्र प्रदेश की बहुचर्चित शराब नीति घोटाले में आरोपी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के सांसद मिथुन रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है और मामले की नए सिरे से सुनवाई चार सप्ताह के भीतर करने का निर्देश दिया है। इस बीच, अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मिथुन रेड्डी को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि हाईकोर्ट ने पूर्व सुनवाई में प्रस्तुत साक्ष्यों का समुचित मूल्यांकन नहीं किया। न्यायालय ने कहा कि जांच अधिकारी द्वारा जुटाए गए अब तक के सभी तथ्यों और सामग्रियों की नए सिरे से निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को सीधे तौर पर घोटाले से जोड़ने वाला कोई ठोस और विश्वसनीय साक्ष्य अभी सामने नहीं आया है। अदालत ने गिरफ्तारी के सिद्धांतों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर्फ किसी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज होने से उसे तुरंत गिरफ्तार करना उचित नहीं है।
कोर्ट ने कहा, “केवल एफआईआर दर्ज होना गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता।” इसके साथ ही अदालत ने पुलिस द्वारा बिना पर्याप्त जांच के की जाने वाली तथाकथित ‘मशीनी गिरफ्तारी’ पर भी चिंता व्यक्त की।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि किसी निर्वाचित सांसद की प्रतिष्ठा और गरिमा की रक्षा करना न्याय प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा होना चाहिए। कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस मामले में निष्पक्ष और तार्किक दृष्टिकोण अपनाते हुए पुनः सुनवाई करे और उचित हलफनामा दाखिल करे।
इसी घोटाले से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में विशेष जांच दल (SIT) ने कर्नाटक के मैसूर से भारती सीमेंट्स के निदेशक बालाजी गोविंदप्पा को गिरफ्तार किया है। तीन दिन पहले हैदराबाद स्थित उनके घर पर छापेमारी के बाद उन्हें नोटिस जारी किया गया था। उनकी जमानत याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।
इसी केस में दो और व्यक्तियों — धनुंजय रेड्डी और कृष्णमोहन रेड्डी — की भी तलाश जारी है। SIT के अनुसार, ये दोनों व्यक्ति जांच के दायरे में हैं और कथित रूप से इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं।
घोटाले की पृष्ठभूमियह पूरा मामला 2019 से 2024 के बीच आंध्र प्रदेश में लागू की गई शराब नीति से जुड़ा है, जिसमें लगभग ₹3,200 करोड़ की वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में इस घोटाले से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया है और मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कुछ प्रमुख व्यक्तियों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
जांच एजेंसियों का कहना है कि शराब नीति के क्रियान्वयन में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ और इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड राज कसिरेड्डी को बताया जा रहा है, जो इस घोटाले का मुख्य आरोपी है।