अमृतसर ट्रेन हादसा : खुशी के पल कैसे बदल गए मातम में, एक नजर

अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास शुक्रवार की शाम दशहरा dussehra 2018 के मौके पर रावण दहन देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी। लोग रेल की पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे, तभी अचानक तेज रफ्तार में ट्रेन आई और सैकड़ों लोगों को कुचलती हुई चली गई। ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी तभी जोड़ा फाटक पर यह हादसा हुआ। बता दे, इस हादसे में 61 लोगों की मौत हो गई है और 72 घायलों को अमृतसर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसा इतना बड़ा था कि मरने वालों की तादाद और बढ़ सकती है। हादसे के बाद ट्रैक के दोनों ओर 150 मीटर तक शव बिखरे हुए नजर आ रहे थे। बता दें कि मौके पर कम से कम 300 लोग मौजूद थे जो पटरियों के निकट एक मैदान में रावण दहन देख रहे थे। इस हादसे को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं।

मुख्य अतिथि नवजोत कौर सिद्धू का देर से पहुंचना: दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि अगर रावण दहन कार्यक्रम में पंजाब कांग्रेस की नेता नवजोत कौर सिद्धू देर से पहुंची थी। अगर वह समय पर पहुंचतीं तो समय से रावण दहन हो जाता, और संभव है कि लोग वहां से हट भी गये होते। बताया जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस की नेता नवजोत कौर सिद्धू को 4.30 में पहुंचना था, मगर वब 6 बजे के बाद पहुंचीं थीं। करीब 6.15 बजे। खबरों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू घटना के वक्त मंच पर मौजूद थी। हादसे के बाद वह वहां से चली गई।

आयोजकों का इंतजाम सही नहीं था: दरअसल, जिस जगह पर रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, उसके हिसाब से आयोजकों को काफी तैयारियां करने की जरूरत थी। आयोजकों ने भीड़ और मेले के मद्देनजर इंतजाम सही नहीं किया था। आयोजकों ने रावण दहन देखने के लिए एलईडी स्क्रीन का भी इस्तेमाल किया था, जिसका एक भाग पटरी की तरफ था। यही वजह है कि पटरियों पर लोग खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे।

रेलवे को आयोजन का पता नहीं: वही खबरे यह भी आ रही है कि इस पूरे कार्यक्रम के बारे में रेलवे को सूचित नहीं किया गया था। यही वजह है कि रेलवे ने एयहतियातन कोई कदम नहीं उठाया। वहीं रेलवे का कहना है कि अंधेरे की वजह से भी ड्राइवर भीड़ का अनुमान लगाने में नाकामयाब रहा।

पटाखों की आवाज: अमृतसर हादसे की मुख्य वजहों पटाखों की आवाज को भी माना जा रहा है। दरअसल, रावण दहन के दौरान चारों तरफ पटाखों की आवाजें गूंज रहीं थीं। पटाखों का शोर इतना था कि लोगों को ट्रेन की आवाज नहीं सुनाई दी और ये बड़ा हादसा हो गया।

अच्छे नजारे देखने की लालसा: ऐसा बताया जा रहा है कि जो लोग रेलवे ट्रैक पर खेड़े होकर रावण दहन देख रहे थे, वहां से नजारा काफी अच्छा दिख रहा था। लोग वहां से न सिर्फ रावण दहन का लाइव देख रहे थे, बल्कि आयोजकों ने एक एलईडी स्क्रीन भी लगाया था, जिसे ट्रैक पर खड़े लोग देख रहे थे।

अपर्याप्त पुलिस बल की तैनाती: माना जा रहा है कि यह आयोजन काफी बड़ा था और वह हजारों में भीड़ मोजूद थी। इतने लोग होने के बावजूद वह पर पुलिस बल की तैनाती नहीं की गई थी। पुलिस बल अगर पर्याप्त होती तो उनकी नजर भी ट्रैक पर खड़े लोगों पर होती और वह वहां से लोगों को हटाया जा सकता था।