शुक्रवार को यूपी में आगामी लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती के बीच दिल्ली में मुलाकात हुई। खबरों की मानें तो दोनों नेता इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीट-बंटवारे के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच गए हैं। सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी के महागठबंधन का हिस्सा नहीं होगी।
हालांकि इस संबंध में दोनों ही दलों की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और न ही सीटों को लेकर अंतिम फैसला हुआ है लेकिन पीटीआई की माने तो उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से दोनों पार्टियां 37-37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी जबकि शेष सीटों को कांग्रेस,राष्ट्रीय लोकदल और अन्य छोटी पार्टियों के लिए छोड़ा जायेगा। मौजूदा परिस्थितियों और पिछले उपचुनाव के नतीजों को देखें तो एसपी-बीएसपी के बीच यदि गठबंधन होता है तो इससे भाजपा को नुकसान होगा। भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में शानदार सफलता हासिल करते हुए 80 में से 72 सीटों पर कब्जा किया था, हालांकि लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को अपनी तीन सीटें गंवानी पड़ी थी। खबर है कि 15 जनवरी के बाद सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जा सकता है। यूपा के महगठबंधन में निषाद पार्टी, ओपी राजभर की पार्टी जेसी छोटी पार्टियों को भी शामिल किए जाने की संभावना है।
सूत्रों ने बताया कि मायावती ने शनिवार को बीएसपी के संयोजकों की बैठक बुलाई है। बसपा और सपा जल्द ही अमेठी और रायबरेली के लिए महागठबंधन के प्रत्याशी तय कर सकती हैं। राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को यूपी के महागठबंधन में तीन सीटें दी जाने की संभावना है। माना जाता है कि अखिलेश यादव और मायावती की अगले सप्ताह फिर मुलाकात होगी।
आपको बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने 47 सीटें जीतीं, जबकि मायावती को सिर्फ 19 सीटें मिलीं। कहा गया कि मायावती के वजूद पर संकट आ गया है। इस नजरिये से देखें, तो बीएसपी की जरूरत एसपी से गठबंधन की ज्यादा है।
वही दूसरी तरफ शुक्रवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी सांसदों के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की बैठक हुई। यह बैठक महेश शर्मा के घर पर हुई। बैठक में लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की गई।