महाराष्ट्र की सियासत के सबसे बड़े गेम चेंजर बने अजित पवार, पलट दी बाजी

महाराष्ट्र को आज अपना सीएम और उप मुख्यमंत्री मिल गया है। आज शनिवार को सुबह बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी के नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली। दरअसल, कल तक येही कयास लगाए जा रहे थे कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में जल्द सरकार बनाने वाली है लेकिन आज जो हुआ उसने सब कुछ पलट कर रख दिया। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने शिवसेना के मंसूबो पर पानी फेर दिया। अजित पवार ने एनसीपी को तोड़कर नया सियासी गेम बनाया है।

अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता हैं। ऐसे में विधायक दलों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र भी उन्हीं के पास था। उन्होंने शरद पवार सहित तमाम एनसीपी नेताओं को पीछे छोड़ते हुए बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया है। बता दें कि आधिकारिक तौर पर विधायक दल के नेता का समर्थन पत्र ही मान्य होता है। अजित पवार के इस फैसले के बाद शरद पवार ने कहा कि ये एनसीपी का समर्थन नहीं है। इससे हमारा लेना-देना कोई नहीं है। इसका मतलब साफ है कि अजित पवार ने एनसीपी के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिला लिया है। वहीं, कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा कि यह बहुत बड़ी साजिश है, जिसे गुप्त रखा गया था। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि विधायकों के पत्र का गलत इस्तेमाल हुआ। समर्थक विधायकों की चिट्ठी का अजित पवार ने गलत इस्तेमाल किया।

एनसीपी से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने क बाद अजित पवार का कहना है कि हम लोगों की समस्या के लिए साथ आए हैं। हम किसानों की समस्या को खत्म करना चाहते हैं। उनकी भलाई के लिए ही सरकार में आए हैं। उन्होंने कहा कि लोगों ने जिसे सरकार बनाने के लिए चुना था। उन्हीं को सरकार बनानी भी चाहिए। इसका मतलब साफ है कि बीजेपी को महाराष्ट्र के लोगों ने सरकार के लिए चुना था और उसी की सरकार बननी चाहिए।

बता दे, अजित पवार का जन्म 22 जुलाई, 1959 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुआ। अजित पवार एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। उनके पिता वी शांताराम के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे। अजीत पवार अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में आए। राजनीति में वह एक राजनेता से आगे बढ़ते हुए महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बने। वह अपने चाहने वालों और जनता के बीच दादा (बड़े भाई) के रूप में लोकप्रिय हैं।

2019 के विधानसभा चुनाव में अजित पवार ने अपनी परिवार की पारंपरिक सीट बारामती सीट से 1,65,265 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। वो पहले भी महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अजित पवार पर सिंचाई घोटाले के आरोप लगे थे। उसके बाद ही नाराज होकर उन्हें डिप्टी सीएम का पद छोड़ा था। इस बार वो सातवीं बार विधायक बने हैं। इस साल सितंबर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र कार्पोरेशन बैंक से जुड़े घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। अजित पवार का भी नाम था।

7 अप्रैल 2013 को आया अजित पवार का एक बयान बेहद चर्चा में रहा। पुणे के पास इंदापुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, “अगर बांध में पानी नहीं है तो क्या पेशाब करके भरें?” उनके इस बयान की काफी निंदा हुई। बाद में खुद अजित पवार ने इसके लिए माफी मांगी थी। कहा था कि ये उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।