एम्स की स्टडी में खुलासा, कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों में 50 से कम उम्र के सबसे ज्यादा

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते जान गंवाने वाले लोगों में 50 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों की संख्या ज्यादा है, बजाय कि 65 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगों की। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने अपने एक अध्ययन में यह बात कही है। इंडियन जर्नल ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसीन में प्रकाशित इस अध्ययन में बालिग मरीजों की कोरोना संक्रमण के चलते हुई मौत का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन के लिए 4 अप्रैल से 24 जुलाई 2021 की अवधि का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन में शामिल बालिग मरीजों को अलग-अलग उम्र वर्ग, 18 से 50, 51 से 65 और 65 से ऊपर में बांट दिया गया, ताकि अध्ययन ज्यादा सरल हो सके। अध्ययन में पाया गया कि 18 से 50 आयु वर्ग के लोगों में मृत्यु दर 42.1% रही, वहीं 51 से 65 आयु वर्ग के लोगों में मृत्यु दर 34.8% और 65 से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों में मृत्यु दर 23.1% रही।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण से हुई मौतों पर आधारित एम्स की स्टडी का आशय मरीजों में मौत के कारणों का पता लगाने और महामारी के क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजिकल प्रभावों का अध्ययन करने की थी। अध्ययन में शामिल मरीज देश के डेडिकेटेड कोविड सेंटर्स में भर्ती थे। अध्ययन की अवधि के दौरान 654 मरीज आईसीयू में भर्ती थे। इनमें से 247 की मौत हो गई। इस तरह कुल मृत्यु दर 37.7% रही।

अध्ययन के मुताबिक कोरोना के मरीजों में जो साझा लक्षण देखने को मिले, उनमें हायपरटेंशन, डायबिटीज और किडनी से जुड़ी बीमारियां थीं। इन मरीजों में बुखार, खांसी और सांस लेने में परेशानियां भी दर्ज की गईं। संक्रमण के चलते जान गंवाने लोगों का डाटा इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिपोर्ट और पेशेंट डेली प्रोग्रेस चार्ट से लिया गया। इसके अलावा आईसीयू के नर्सिंग नोट्स का भी इस्तेमाल किया गया।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि आईसीयू में भर्ती कोरोना वायरस संक्रमण के मरीजों में मृत्यु दर 8% से 66.7% के बीच रही है। अमेरिका, स्पेन और इटली जैसे अन्य देशों में भी इस तरह की मृत्यु दर देखने को मिली है।