आंदोलन को खत्‍म करने में ही जनता और किसान का हित: कृषि मंत्री

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 16वें दिन जारी है। किसानों ने आज से आंदोलन को और भी तेज करने का अल्टीमेटम दिया है। दिल्ली की सीमा पर पंजाब-हरियाणा के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। उधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को किसान यूनियन से आंदोलन को खत्‍म करने का आग्रह किया। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि जिन कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं वह उनके ही हित के लिए काफी सोच-विचार कर सरकार ने बनाए हैं इसलिए आंदोलन की जगह वार्ता के जरिए इसे हल करने का प्रयास करें। साथ ही उन्‍होंने आंदोलन कर रहे किसानों को सर्दी व कोविड-19 महामारी के कारण होने वाली परेशानियों का भी उल्‍लेख किया और इस आंदोलन से दिल्‍ली की आम जनता को हो रही मुश्‍किलों का भी हवाला दिया।

केंद्रीय कृषि ने कहा, 'हम किसानों की समस्याओं पर विचार कर रहे हैं। कई बिंदुओं पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों से पूछा कि एपीएमसी को सुदृढ़ बनाने के लिए क्या करना चाहिए, इस पर किसानों ने कोई जवाब नहीं दिया, वह चुप हो गए।'

केंद्रीय कृषि ने कहा, 'हमने किसानों को जो सुझाव भेजे हैं, उसमें एपीएमसी मंडी के बाहर प्राइवेट मंडियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर किसानों के डर को दूर किया गया है। राज्य सरकारों को अधिकार है कि वह प्राइवेट मंडियों के रजिस्ट्रेशन और टैक्स पर फैसला ले सकती हैं। हम एसडीएम कोर्ट की जगह न्यायिक कोर्ट के रास्ते खोलने पर विचार कर सकते हैं।'

केंद्रीय कृषि ने कहा, 'ट्रेडर्स का पैन कार्ड के जरिए रजिस्ट्रेशन के विवाद को राज्य सरकारें सुलझा सकती हैं और वह अपने नियम से ट्रेडर्स का रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं। पराली अध्यादेश का भी हम किसानों के हिसाब से समाधान करेंगे। बिजली को लेकर पहली की व्यवस्था रहने का वादा किया गया है। सब प्रस्ताव हमने भेज दिया है।'

कृषि मंत्री ने कहा, 'नए कृषि सुधार कानूनों के तहत APMC मंडी में लगने वाला कमीशन देने की किसान को बाध्‍यता नहीं होगी। उन्हें अपनी फसल के लिए अपनी मर्जी से मंडी और दाम चुनने की पूरी आजादी होगी।' उन्‍होंने कहा, 'प्रधानमंत्री जी और मैंने बार-बार यह कहा है कि MSP चलती रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है। इस वर्ष भी MSP पर फसलों की खरीद बहुत अच्छे से हुई है। MSP को हमनें ही डेढ़ गुना किया है। अगर MSP को लेकर उनके मन में कोई शंका है तो हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार हैं।'

कृषि मंत्री ने कहा, 'मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें केंद्र के साथ गतिरोध खत्‍म करना चाहिए। केंद्र सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव ​दिया है जिसमें उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है।' उन्‍होंने आगे कहा, 'सर्दी का मौसम है और कोरोना का संकट है, किसान बड़े खतरे में हैं। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, दिल्ली की जनता परेशान हो रही है। इसलिए जनता के हित में, किसानों के हित में उनको(किसानों) अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए।'

700 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में रवाना हुए 50 हजार किसान-मजदूर

आपको बता दे, शुक्रवार को 700 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में करीब 50 हजार किसान-मजदूर अमृतसर से दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं। इनका कहना है कि अब केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए पूरे देश के रेलवे ट्रैकों को जाम किया जाएगा। दोपहर बाद तक किसानों का जत्था जालंधर पहुंच चुका था। जालंधर-अमृतसर हाईवे पर एक साइड ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लाइन लगी हुई थी। इसके चलते जाम की स्थिति बन गई। दिल्ली रवाना होने से पहले किसानों ने श्री हरमंदिर साहिब में अरदास की। इसके बाद गोल्डन गेट पर इकट्‌ठा हुए।

जत्थे में शामिल होने के लिए अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर से पहुंचे, जो ब्यास के पुल पर मिले। फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, मोगा और फाजिल्का जिलों के किसानों का जत्था फिरोजपुर से रवाना हुआ। यहां से लुधियाना की दोराहा मंडी में पहुंचकर इकट्ठे अमृतसर से आ रहे जत्थे के साथ मिल जाएंगे।