ब्यावर : कोरोना के कारण इस बार 170 साल बाद नहीं निकलेगी बादशाह की सवारी

बढ़ता कोरोना चिंता का कारण बन रहा हैं जिसे देखते हुए प्रशासन ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया हैं और कई कार्यक्रमों को इजाजत नहीं दी गई हैं। अजमेर जिले के ब्यावर कस्बे में धुलंडी के अगले दिन होने वाले प्रसिद्द बादशाह की सवारी इस बार कोरोना के चलते नहीं निकलेगी। 170 साल से लगातार हो रहे इस आयोजन को इस बार कोरोना के चलते रद्द कर दिया है। प्रशासन ने इसके लिए इजाजत नहीं दी थी। ऐसे में अग्रवाल समाज ने बादशाह मेला नहीं करने की घोषणा कर दी है। समाज के अध्यक्ष निर्मल बंसल ने बताया कि बादशाह मेले काे लेकर संयोजक भी नियुक्त किए थे, लेकिन कोरोना के चलते उपखंड प्रशासन की ओर से इस आयोजन के लिए स्वीकृति नहीं दी गई। ऐसे में यह आयोजन इस बार नहीं होगा और न ही इसके लिए चंदा एकत्र किया जाएगा।

यह है इतिहास व मान्यता

अकबर बादशाह के समय उनके नवरत्नों में से एक टोडरमल अग्रवाल को ढाई दिन की बादशाहत मिलने के उपलक्ष में ब्यावर में 1851 से प्रतिवर्ष धुलंडी के अगले दिन बादशाह मेले का आयोजन किया जाता रहा है। अग्रवाल समाज के तत्वावधान एवं जन सहयोग से आयोजित यह मेला सभी समुदाय के लोगों का एक ऐसा सामूहिक त्योहार है, जिसमें अग्रवाल समाज का व्यक्ति बादशाह बनता है। बादशाह को सजाने का कार्य माहेश्वरी समाज के लोग करते हैं।

बादशाह मेले की यह सवारी धुलंडी के अगले दिन अपराह्न सवा 3 बजे बाद भैरूजी के खेजड़े के निकट से रवाना होती थी, जो फतेहपुरिया चौपड़, अजमेरी गेट होते हुए उपखंड कार्यालय पहुंचती और वहां बादशाह उपखंड अधिकारी से गुलाल की होली खेल उन्हें शहर की कानून व्यवस्था के संबंध में आवश्यक आदेश देते थे। मान्यता है कि बादशाह की ओर से लुटाई गई इस गुलाल को तिजोरी अथवा गल्ले में रखने से पूरे वर्ष धन की कमी नहीं रहती है।