दिल्ली में हार के बाद केजरीवाल ने पंजाब पर केंद्रित किया ध्यान, अस्तित्व की लड़ाई

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपना ध्यान पंजाब पर केंद्रित कर लिया है, जहां पार्टी सत्ता में है। वे राज्य में नशा विरोधी अभियान की अगुआई करते नजर आ रहे हैं, जबकि उनकी पार्टी के सदस्य अपने गृह गढ़ में भाजपा से मुकाबला कर रहे हैं। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एन के सिंह ने इस स्थिति को 'केजरीवाल की अस्तित्व की लड़ाई' करार दिया है।

दिल्ली में मिली करारी हार ने आप की रणनीति को पूरी तरह से बदल दिया है। पार्टी सांसद संजय सिंह वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर मुखर हैं, दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी बिजली संकट पर सरकार को घेर रही हैं और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज कपिल मिश्रा मामले पर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं, लेकिन केजरीवाल की अनुपस्थिति साफ झलक रही है।

पंजाब में केजरीवाल का दावा है कि एक महीने में हज़ारों ड्रग तस्करों को गिरफ़्तार किया गया है और कई प्रभावशाली लोगों के घरों को बुलडोज़र से ढहा दिया गया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, या तो पंजाब में ड्रग्स बेचना बंद करो या पंजाब छोड़ दो।

आक्रामक अभियान को जनता का समर्थन मिल रहा है और राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ़ प्रशासनिक पहल नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति है। सिंह ने कहा, केजरीवाल दिल्ली की हार के बाद नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। यह उनके लिए सिर्फ़ चुनावी हार नहीं है, बल्कि अस्तित्व की लड़ाई है। अगर पंजाब भी हार गया तो AAP के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक बने रहना मुश्किल हो जाएगा। केंद्र सरकार ने उन्हें कानूनी मोर्चों पर पहले ही घेर लिया है। अब उनके पास सिर्फ़ एक ही विकल्प है, पंजाब को मज़बूत करना।

सिंह ने कहा कि दिल्ली में इस समय करने के लिए कुछ खास नहीं बचा है। विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं। सरकार के पास कोई बड़ा काम नहीं बचा है। इसके विपरीत, पंजाब में 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी दो साल बाकी हैं। सिंह ने कहा कि शासन को लेकर लोगों में नाराजगी है और केजरीवाल अपनी मौजूदगी से इस नाराजगी को अवसर में बदलना चाहते हैं।

सिंह का मानना है कि केजरीवाल नशे के मुद्दे पर भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा की अपनी पुरानी छवि को फिर से जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। सिंह ने कहा, पंजाब में नशा एक बड़ा और संवेदनशील मुद्दा है। यह ऐसा विषय है जो किसी भी धर्म, जाति या वर्ग की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाता। यही वजह है कि यह एक सुरक्षित और प्रभावी राजनीतिक मुद्दा है। यह किसान आंदोलन या धर्म आधारित राजनीति से कहीं ज़्यादा प्रभावी हो सकता है। अकाली दल के कई नेता भी नशे के मामलों में संलिप्त पाए गए हैं, जिससे आप को हमला करने का सीधा मौका मिल गया है।

दिल्ली से उनकी दूरी पार्टी के लिए नुकसानदेह होगी या नहीं, इस पर सिंह ने कहा कि पंजाब पर ध्यान केंद्रित करना एक व्यावहारिक रणनीति है। सिंह ने कहा, अगर केजरीवाल पंजाब में 2027 के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो यह न केवल पंजाब में AAP को स्थिरता और राजनीतिक प्रासंगिकता प्रदान करेगा, बल्कि दिल्ली, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी इसे मजबूत करेगा।