पूर्वी एशिया में भी खुल सकता है युद्ध का एक नया मोर्चा, ताइवान ने चीन के खिलाफ दागी मिसाइलें, उड़ाए फाइटर जेट

नई दिल्ली। ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के पदभार संभालते ही चीन बौखला गया है। चीनी सेना ने गुरुवार को द्वीपीय देश ताइवान के चारों तरफ दो दिवसीय व्यापक दंड अभ्यास शुरू किया है। इसमें उसकी थल सेना, नौसेना, वायु सेना और रॉकेट बल भाग ले रहे हैं और ताइवान के चारों तरफ संयुक्त युद्धाभ्यास कर रहे हैं। चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पूर्वी थिएटर कमान ने गुरुवार सुबह 7:45 बजे ताइवान द्वीप के आसपास ये संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया है।

चीन ने गुरुवार को कहा कि ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वालों के 'सिर तोड़ दिए जाएंगे और खून बहेगा।' चीन ने कहा स्वशासित द्वीप ताइवान के आसपास उसके सैन्य अभ्यास का उद्देश्य 'गंभीर चेतावनी' देना है। ताइवान की नौसेना ने चीनी युद्धाभ्यास का चित्र साझा किया है।

इसके जवाब में ताइवान ने भी चीन के सामने अपनी ताकत का इजहार किया है। ताइवान ने चीनी सैनिकों के युद्धाभ्यास को देखते हुए गुरुवार को मिसाइलें दागीं और फाइटर जेट उड़ाए। इतना ही नहीं ताइवान ने अपनी जल और थल सेना को भी अलर्ट कर दिया है। दोनों देशों के रुख से पूर्वी एशिया की भू-राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है और इस बात की आशंका गहराने लगी है कि क्या पूर्वी एशिया में भी युद्ध का एक नया मोर्चा खुल सकता है।

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान कोस्ट गार्ड ने उत्तरी ताइवान के तट से दूर पेंगजिया द्वीप के उत्तर-पश्चिम का एक चित्र साझा किया है, जिसमें चीनी सैन्य जहाज नजर आ रही है। एएफपी ने बताया कि चीन ने युद्ध अभ्यास के तहत नौसेना के जहाजों और सैन्य विमानों से ताइवान को घेर लिया, जिसका उद्देश्य स्व-शासित द्वीप को दंडित करना था, क्योंकि ताइवान के नए राष्ट्रपति ने लोकतंत्र की रक्षा करने की कसम खाई थी।

यह अभ्यास ताइवान जलडमरूमध्य, ताइवान द्वीप के उत्तर, दक्षिण और पूर्व के साथ-साथ किनमेन, मात्सु, वुकिउ और डोंगयिन द्वीपों के आसपास के क्षेत्रों में किया जा रहा है। चीन की सेना ने कहा कि ताइवान के आसपास उसका दो दिवसीय अभ्यास स्वतंत्रता चाहने वाली अलगाववादी ताकतों के लिए सजा है। चीन ने यह अभ्यास ऐसे वक्त में किया है जब स्व-शासित द्वीप ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने देश पर चीन की संप्रभुता के दावे को अस्वीकार किया है। दूसरी तरफ, बीजिंग का दावा है कि यह द्वीप चीन के राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा है। चीन का मानना है कि ताइवान को मुख्य भूमि के साथ जोड़ा जाना चाहिए भले ही इसके लिए बल प्रयोग करना पड़े।

पीएलए ईस्टर्न थिएटर कमान के प्रवक्ता ली शी ने कहा, ‘‘यह अभ्यास ‘ताइवान स्वतंत्रता’ बलों के अलगाववादी कृत्यों के लिए एक कड़ी सजा और बाहरी ताकतों द्वारा हस्तक्षेप और उकसावे के खिलाफ एक कड़ी चेतावनी जैसा है।’’ उधर, ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीन के अतार्किक उकसावे ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है, सैन्य अभ्यास करने का यह बहाना न केवल ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता में दखल है बल्कि यह चीन की आधिपत्यवादी प्रकृति को भी दर्शाता है।

बता दें कि सोमवार को पदभार संभालने के बाद अपने पहले संबोधन में ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने बीजिंग से अपनी सैन्य धमकी को रोकने और न तो झुकने और न ही उकसाने का आह्वान किया था। लाई ने कहा है कि वह ताइवान की वर्तमान स्थिति को बनाए रखते हुए बीजिंग के साथ बातचीत करना चाहते हैं, ताकि संघर्षों के बचा जा सके।