बिहार : संक्रमण के इस केस को देख डॉक्टर भी आए दहशत में, 8 साल के मासूम का फेफड़ा 90% खराब, लिवर-किडनी भी संक्रमित

बिहार के IGIMS में कोरोना संक्रमण का ऐसा मामला सामने आया जिसने डॉक्टर को भी दहशत में डाल दिया। यहां, 22 मई को छपरा के एक 8 साल के मासूम को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। मासूम का फेफड़ा 90% खराब हो चुका था और संक्रमण के कारण लिवर और किडनी पर भी काफी असर पड़ा था। RTPCR और एंटीजन की जांच रिपोर्ट निगेटिव थी। CT स्कैन रिपोर्ट देख डॉक्टरों की टीम भी दंग रह गई। हालांकि डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की जान बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी और अब वह काफी हद तक इसमें सफल हो गए हैं।

IGIMS के चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनीष मंडल का कहना है कि परिजन जब बच्चे को अस्पताल लेकर आए थे तब उसको बुखार के साथ खांसी और सांस फूलने की समस्या थी। मासूम को इमरजेंसी में भर्ती किया गया। इस दौरान जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि मासूम का फेफड़ा, किडनी और लिवर गंभीर रूप से संक्रमित हो चुका है, जिससे उसकी जान को खतरा है।

डॉक्टरों की पूरी टीम लग गई। RTPCR जांच कराई गई तो रिपोर्ट निगेटिव थी। लेकिन जब सिटी स्कैन की रिपोर्ट डॉक्टरों के सामने आई तो उनके होश उड़ गए। कोरोना निगेटिव होने के बाद भी मासूम का फेफड़ा 90% संक्रमित हो चुका था।

डॉक्टरों के अनुसार, मासूम की हालत बिगड़ती जा रही थी और टीम का प्रयास भी तेज होता जा रहा था। इस दौरान उसे एंटीबायोटिक के अलावा रेमडेसिविर इंजेक्शन और स्टेरॉयड के साथ नेबुलाइजेशन दिया गया। सांस की इतनी तकलीफ थी कि 16 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से ऑक्सीजन दिया जा रहा था।

इमरजेंसी से उसे 27 मई को PICU में शिफ्ट किया गया, जहां शिशु रोग विभाग के डॉ राकेश कुमार, डॉ आनंद कुमार गुप्ता और डॉक्टर सुनील कुमार के साथ कई अन्य डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी।

शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और मासूम की हालत में सुधार होने लगा। मासूम की हालत अब काफी बेहतर है, वह खुद से खाना-पीना कर ले रहा है। मासूम की जान बचाने वाले डॉक्टरों को संस्थान के निदेशक डॉ एन आर विश्वास ने बधाई दी है।