सीकर : कोरोना के डर ने रिश्तों को किया कमजोर, 75 साल के पिता का शव लेने ही नहीं पहुंचा बेटा, समझाइश के बाद अंतिम संस्कार

कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों में कमी आई हैं लेकिन इसका कहर अभी भी खत्म नहीं हुआ हैं। लोगों में कोरोना का एक डर बैठ गया हैं जिसने रिश्तों को भी कहीं ना कहीं कमजोर किया हैं। ऐसी ही एक घटना देखने को मिली सीकर में जहां लक्ष्मणगढ़ निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग की शुक्रवार रात मौत हो गई। इससे पहले तबीयत बिगड़ने पर स्टाफ ने बेटे को सूचित कर हॉस्पिटल बुलाया। लेकिन वह नहीं आया। रात 1:20 बजे बुजुर्ग की मौत हो गई। ड्यूटी डॉक्टर ने बेटे से संपर्क किया। लेकिन उसने हॉस्पिटल आने से मना कर दिया। बेटे ने खुद पॉजिटिव होने का हवाला दिया।

प्रबंधन ने लक्ष्मणगढ़ निवर्तमान पालिका अध्यक्ष के जरिए बेटे की समझाइश की वह फिर भी बचता रहा। काफी समझाइश के बाद शव लेने के बजाय दाह संस्कार में पहुंचने की हामी भरी। हॉस्पिटल की तरफ से शव को शमशान घाट तक पहुंचने की व्यवस्था की गई। वहां पर बेटे ने अंतिम संस्कार की रस्में पूरी की।

बेटे का तर्क : असमंजस के कारण नहीं जा सका कोविड सेंटर

कोविड हॉस्पिटल के ड्यूटी डॉक्टर कमल बंसल का कहना है कि बुजुर्ग के भर्ती होने के बाद परिजन नहीं आए। रात को तबियत बिगड़ी तो बेटे को फोन किया। लेकिन वह हॉस्पिटल आने को तैयार नहीं हुआ। रात को मौत होने के बाद भी उनका कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला। निवर्तमान पालिकाध्यक्ष चांदनी शर्मा के प्रतिनिधि पवन शर्मा का कहना है कि दो दिन पहले बुुजुर्ग के स्वास्थ्य को लेकर कोविड सेंटर से फोन आया था कि उनका लड़का फोन रिसीव नही कर रहा है। मैंने उनके लड़के से बात की।

उसने खुद के जुकाम-बुखार होने की बात कही। शनिवार को बुजुर्ग के निधन की सूचना मिली। उनकी पत्नी को सीकर बुलवाने की जानकारी भी मिली थी। मामले में बुजुर्ग के बेटे का कहना है कि पिता की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो मैं हॉस्पिटल गया था।

दोबारा गया तो सुरक्षा में लगे जवानों ने मुझे रोक लिया, इसलिए पिता से नहीं मिल पाया। बाद में पता चला कि कोविड सेंटर में मरीज के परिजन नहीं जा सके। मौत के बाद इसी असमंजस में कोविड हॉस्पिटल नहीं जा सका। कोविड हॉस्पिटल के इंचार्ज सुखवीर गोरा का कहना है कि हमने बेटे से संपर्क किया। उसे समझाया और दोपहर में बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कराया।