आगरा हादसा : चश्मदीद निहाल सिंह ने बताया - चंद मिनटों में खून बस से बहकर नाले के पानी में मिलने लगा

आगरा के थाना एताम्दपुर क्षेत्र के पास सोमवार तड़के यमुना एक्सप्रेसवे पर तकरीबन साढ़े 4 बजे एक भीषण सड़क हादसा हुआ। 53 यात्रियों को ले जा रही एक जनरथ बस एक्सप्रेसवे की रेलिंग तोड़ते हुए 50 फीट गहरे नाले में जा गिरी। इस हादसे में लगभग 30 लोग मारे गए है। जबकि 23 यात्री घायल हैं। सोमवार सुबह जब यह हादसा हुआ उस समय चौगान गांव, एत्मादपुर के निहाल सिंह खेत में थे। उन्होंने ही सबसे पहले राहत कार्य शुरू किया था। बस तक सबसे पहले पहुंचने वाले निहाल ने आंखों देखा जो मंजर बताया उसे सुनकर किसी का भी कलेजा कांप सकता है। कई दिन, महीनों और वर्षों तक इस हादसे की तस्वीर दिल-दिमाग पर असर डाल सकती है।

निहाल सिंह कहा कि इतनी लाशें पहली बार देखी थी। एक-एक लाश को हटाकर घायलों को तलाश रहा था। उन्होंने कहा कई घायलों को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त बस से बाहर निकाला। निहाल ने कहा, 'दो-दो, तीन-तीन लाशों के नीचे बेहोश हो चुके घायल दबे हुए थे। 6 घायलों को तो खुद मैंने अकेले ही लाशों के नीचे से निकाला। कराहने की आवाज़ों का पीछा करते हुए घायलों को तलाशने का काम किया।'

चंद मिनटों में ही खून बस से बहकर नाले के पानी में मिलने लगा

निहाल ने बताया, 'ड्राइवर साइड से बस नाले में आधी डूब चुकी थी। बस के शीशे बंद होने के कारण कई लोग हाथ-पैर चला रहे थे। चंद मिनटों में ही खून बस से बहकर नाले के पानी में मिलने लगा था। जिंदा लोग कम और लाशों के ढेर ज्यादा नज़र आ रहे थे। गांव तक मदद मांगने जाता तो काफी देर हो जाती। इसलिए जितना हो सका पहले अकेले ही लोगों को बचाने की ठानी।'

एक घायल ने मेरा पैर पकड़ लिया

निहाल ने बताया कि जो लोग चिल्ला रहे थे उन्हें किसी तरह से खींचकर बाहर लाया। उन्‍होंने कहा, 'इसी बीच एक घायल ने मेरा पैर पकड़ लिया। बोला अंदर मेरी बच्ची और पत्नी है। अगर देर हो गई तो वो मर जाएंगे। यह सुनकर मेरी आंखों से आंसू आ गए, लेकिन मैं अकेला क्या कर सकता था। जो भी घायल पास नज़र आ रहा था और आसानी से निकल सकता था उसे पहले बाहर ला रहा था।'

निहाल ने बताया 'जब मुझे लगा कि अब मैं अकेला कुछ नहीं कर पाऊंगा तो गांव की ओर दौड़ लगा दी। उसने पहले 1 घायल यात्री का मोबाइल लेकर 100 नंबर पर पुलिस को दुर्घटना की सूचना दे दी। तब तक गांव से भी कई लोग आ गए। गांव में एक जेसीबी थी उसे भी ले आए। अब लोगों के कराहने की आवाज़ तो आ रही थी, लेकिन कराहने वाले दिखाई नहीं दे रहे थे। इतनी लाशें पहली बार देखी थी। एक-एक लाश को हटाकर घायलों को तलाशने लगा।'

लगभग 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी बस

पुलिस ने कहा कि सड़क पर कोई निशान नहीं था। हादसे में बचे लोगों ने भी कहा कि बस को लगभग 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा रहा था। हादसे का असर ऐसा था कि उसका एक टायर बस के नाले में गिरने के बाद फट गया। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 यात्रियों को बचा लिया गया था और शेष लोगों को भी बचाने की कोशिश की गई थी। 30 मृतकों में से 19 की पहचान हो चुकी है। घायलों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। घायलों में से दो कोमा में हैं और उनकी पहचान नहीं की जा सकी है। आगरा के एसएसपी बबलू कुमार ने कहा, ‘हम सभी पीड़ितों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। जब हमारे पास सभी विवरण होंगे, हम उसे सार्वजनिक करेंगे।’