कोटा : पुलिसकर्मियों के लिए सुरक्षा कवच बनी वैक्सीन, कोरोना हुआ लेकिन अस्पताल नहीं जाना पड़ा

कोरोना से लड़ाई में वैक्सीन एक बड़ा सुरक्षा कवच साबित हो रहा हैं। प्रदेश में वैक्सीन पुलिसकर्मियों के लिए कवच साबित हिया हैं जहां सवा लाख में से 81 हजार पुलिसकर्मियों ने वैक्सीन ली और इनमें से 2035 वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित हुए लेकिन किसी को भी इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाना पड़ा। पिछले वर्ष मात्र 450 पुलिसकर्मी संक्रमित हुए थे लेकिन कई को हॉस्पिटल में रहकर इलाज कराना पड़ा था। हालांकि दूसरी लहर के दौरान पांच पुलिसकर्मियों को अस्पताल ले जाना पड़ा, जिसमें तीन की मृत्यु हो गई। इनमें दो को किडनी में परेशानी बताई गई।

प्रदेश में सवा लाख पुलिसकर्मी हैं। 96 हजार वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके। 81,103 के पहली और 60,821 के दूसरी डोज लग भी चुकी। परिणाम यह कि खुले में लोगों के बीच रहकर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करा रहे 70 हजार जवानों ने अब तक मात्र 2035 ही संक्रमित हुए लेकिन ज्यादातर को इलाज के लिए अस्पताल नहीं ले जाना पड़ा।

कोटा के ट्रैफिक एएसआई दोनों डोज के बाद भी पॉजिटिव, पर 3 दिन में ठीक हुए

कोटा ट्रैफिक पुलिस एएसआई सत्यनारायण ने 7 फरवरी को वैक्सीन की पहली और 9 मार्च को दूसरी डोज ली। 12 अप्रैल को वो चालानी कार्रवाई के दौरान संक्रमित हो गए। 2 दिन सिर दर्द, खांसी और बुखार रहा। 14 अप्रैल को सैंपल कोराना पॉजिटिव पाए गए। सेचुरेशन लेवल 92-93 आ गया था। उन्होंने घर पर रहकर नॉर्मल इलाज लिया। तीसरे दिन से नॉर्मल हो गए और 14 दिन बाद ड्यूटी पर लौट आए।

लोगों के बीच रहते हैं तो मार्च में वैक्सीन ली, फिर कोरोना हुआ पर असर हल्का था

जवाहरनगर थाना प्रभारी अरूण कुमार पुनिया बाेले- थकान हो रही थी तो जांच कराने पहुंच गया। लेकिन तसल्ली थी कि मैंने मार्च में ही वैक्सीन लगवा ली थी। दरअसल 8 अप्रैल को नाइट ड्यूटी करके घर पर आया तो कमजोरी महसूस हुई। कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई, लेकिन लक्षण नहीं थे। फिर भी 14 दिन तक अकेला क्वारेंटाइन रहा और वहां पर बैठकर थाने की मॉनिटरिंग करता रहा।