सुपर साइक्लोन 'अम्फान' से भीषण तबाही, ममता बोलीं 12 लोगों की गई जान; केंद्र से मदद की गुहार

अम्फान तूफान ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बुधवार को बाही मचाई है। बुधवार को हवा की रफ्तार 190 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई थी। तूफान की वजह से पश्चिम बंगाल में 12 लोगों की मौत हो गई। मौतों की जानकारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दी हैं। अम्फान की वजह से ओडिशा में कोई मौत होने की जानकारी नहीं है। बंगाल के मुकाबले ओडिशा में तूफान का कहर कुछ कम रहा। यहां ज्यादा असर बालासौर, भद्रक और केंद्रपाड़ा में दिखा लेकिन इन इलाकों में भी हवा की रफ्तार 110 किमी से ज्यादा नहीं रही। इसके बावजूद ओडिशा में अभी तक 3 लोगों की मौत की खबर है।

अम्फान तूफान ने ओडिशा और बंगाल के लोगों को चंद घंटों में ही कयामत की झलक दिखा दी। तूफान की रफ्तार जब तक थमी, कोलकाता में सबकुछ उलट पुलट हो चुका था। कोलकाता में सचिवालय को भी क्षति पहुंची है। गाड़ियां नावों की तरह तैर रही थी। सड़कों पर पेड़ उखड़े पड़े थे। बड़े बड़े होर्डिंग, बिजली के पोल औंधे मुंह गिरे हुए थे। ममता का कहना है कि तूफान की वजह से हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सही आकलन करने में 3-4 दिन लगेंगे। ममता ने साइक्लोन से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है।

तूफान बुधवार दोपहर करीब ढाई बजे कोलकाता पहुंचा। शाम साढ़े सात बजे हवा की रफ्तार धीमी हुई। इन 5 घंटों में तूफान काफी तबाही मचा चुका था। तूफान आने से पहले ही 6.6 लाख लोग सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिए गए थे। बंगाल में पिछले तीन दिन में 5 लाख लोग तटीय इलाकों से हटाकर शेल्टर होम पहुंचा दिए थे। ओडिशा में 1.6 लाख लोग रेस्क्यू किए गए। मौसम विभाग के डीजी मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि तूफान के रास्ते और समय का सही आकलन होने से रेस्क्यू में काफी मदद मिली।

तबाही का मंजर बंगाल में कई जगहों पर है, तूफान के गुजर जाने के बाद उसके गहरे निशान हर तरफ बसरे हैं। राहत टीमें टूटे पेड़ों को सड़कों से हटाने में जुटी हैं, लेकिन काम खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। सड़कों पर पानी भरा होने के चलते राहत काम में और भी मुश्किल आ रही है।

ओडिशा के 9 जिले पुरी, गंजम, जगतसिंहपुर, कटक, केंद्रापाड़ा, जाजपुर, गंजाम, भद्रक और बालासोर प्रभावित हैं। पश्चिम बंगाल के तीन तटीय जिले पूर्वी मिदनापुर, 24 दक्षिण और उत्तरी परगना के साथ ही हावड़ा, हुगली, पश्चिमी मिदनापुर और कोलकाता पर इसका असर रहा।