लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग (EC) पर गंभीर आरोप लगाते हुए आदित्य श्रीवास्तव नामक व्यक्ति का उदाहरण दिया था। राहुल गांधी ने कहा था कि आदित्य के नाम पर चार अलग-अलग जगह वोटर आईडी दर्ज हैं, जो चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी का संकेत है। इस बयान के बाद आदित्य श्रीवास्तव ने पहली बार अपने पक्ष में बयान दिया है और इस मामले में पूरी स्थिति स्पष्ट की है।
इंडिया टीवी से बातचीत में आदित्य ने बताया कि वे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के निवासी हैं, और 2016 तक मुंबई में रहते थे। उन्होंने बताया कि 2021 के बाद वे बेंगलुरू शिफ्ट हो गए। आदित्य ने कहा कि मुंबई में नौकरी के दौरान ही उन्होंने वहां का वोटर कार्ड बनवाया था और बाद में उसे लखनऊ से ट्रांसफर कराया। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2019 में मुंबई में मतदान किया था।
वोटर कार्ड ट्रांसफर की प्रक्रिया और समयआदित्य ने बताया कि उन्होंने 2017 या 2018 के आसपास अपना वोटर कार्ड लखनऊ से मुंबई ट्रांसफर कराया था। वहीं, 2021 में वे बेंगलुरू चले गए और वहां अपना वोटर कार्ड फिर से ट्रांसफर कराया। उन्होंने साफ किया कि मुंबई छोड़ने के बाद वे वहां कभी मतदान के लिए नहीं गए। आदित्य ने कहा कि राहुल गांधी को उनकी व्यक्तिगत जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा नहीं करनी चाहिए थी क्योंकि इसमें उनके परिवार के नाम और पिता का नाम भी शामिल था।
चार जगह नाम दर्ज होने के सवाल पर आदित्य की प्रतिक्रियाजब आदित्य से पूछा गया कि उनके नाम चार जगह वोटर लिस्ट में कैसे दिख रहे हैं, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने जो फॉर्म भरा था, उसमें ही उनकी वोटर आईडी ट्रांसफर हुई है और उनका नया वोटर कार्ड उसी नंबर पर जारी किया गया है। आदित्य का कहना है कि उनका केवल बेंगलुरू का डेटा ही सक्रिय है और उनका विश्वास है कि वोटर कार्ड ट्रांसफर होने पर पुराना वोटर कार्ड स्वतः निष्क्रिय हो जाना चाहिए।
आदित्य ने कहा, “जब मैंने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपनी जानकारी चेक की, तो मेरा नाम केवल बेंगलुरू की सूची में ही दिखा। मुझे लगता था कि ट्रांसफर के बाद पुराने रिकॉर्ड हट जाते हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मैंने फिर से जांच की तो ऐसा ही पाया।”
इस प्रकार, आदित्य श्रीवास्तव ने राहुल गांधी के आरोपों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं पर भरोसा जताया है और कहा कि उनके नाम का चार जगह दर्ज होना शायद तकनीकी कारणों से हुआ हो। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा सही जानकारी को अपडेट करने की आवश्यकता पर जोर दिया।