रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज अपने विशेष विमान से नई दिल्ली पहुंचने वाले हैं। इस बार वह अपने सबसे बड़े मंत्रीस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आ रहे हैं। दिल्ली आगमन के तुरंत बाद उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पीएम आवास पर मुलाकात तय है, जहां उनके सम्मान में विशेष रात्रिभोज भी रखा गया है। अनुमान है कि यह मुलाकात देर रात तक जारी रह सकती है।
दुनिया की नजरें पुतिन की भारत यात्रा परशुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मौजूदगी में 23वां भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित होगा। ऐसे वक्त में यह बैठक और भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है जब अमेरिका, रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर भारत पर दबाव बढ़ा रहा है। इसलिए पुतिन की इस यात्रा को वैश्विक स्तर पर बेहद गंभीरता से देखा जा रहा है।
यात्रा से पहले भारत के विदेश मंत्रालय और रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने साफ संकेत दिए हैं कि इस बार दोनों देशों का आर्थिक व व्यापारिक सहयोग बैठक का मुख्य केंद्र रहेगा। इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुतिन के साथ रूसी सरकार के लगभग सभी प्रमुख आर्थिक विभागों के मंत्री भी भारत पहुंच रहे हैं।
बड़ा रूसी प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में जुटापुतिन के साथ आने वाले दल में आर्थिक विकास मंत्री मैक्सिम रेशेतनिकोव, उद्योग एवं व्यापार उप मंत्री एलेक्सी ग्रूजदेव, कृषि मंत्री ओक्साना लुट, डिजिटल संचार मंत्री सर्गेई कुशचेव शामिल हैं। इनके अलावा स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको, विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, और रक्षा मंत्री आंद्रे बेलुसोव भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। हाल के वर्षों में किसी विदेशी दौरे पर रूस का यह सबसे बड़ा आधिकारिक दल माना जा रहा है।
व्यापार जगत भी सक्रिय—75 रूसी कंपनियों के अधिकारी पहुंचेआर्थिक रिश्तों को नई गति देने की तैयारी का अंदाज़ा इस तथ्य से भी मिलता है कि पुतिन के आगमन से 24 घंटे पहले ही रूस की 75 प्रमुख कंपनियों के शीर्ष अधिकारी नई दिल्ली में पहुंच चुके हैं। शुक्रवार दोपहर पुतिन और पीएम मोदी दोनों देशों के 75–75 बड़ी कंपनियों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों से सामूहिक बातचीत करेंगे।
व्यापार असंतुलन कम करने पर भारत का ध्यानरूस चाहता है कि भारतीय रिटेल, आईटी और हाई-टेक कंपनियां रूस में अपने प्लांट स्थापित करें। वहीं भारत यह ज़ोर दे रहा है कि रूस भारतीय उत्पादों और सेवाओं के आयात में बढ़ोतरी करे, ताकि व्यापार घाटे को संतुलित किया जा सके।
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत–रूस के बीच लगभग 68 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था, लेकिन भारत का निर्यात इसमें केवल 5 अरब डॉलर रहा। हाल ही में रूस ने भारत से आलू, अनार और समुद्री मछलियों का आयात शुरू किया है, पर विशेषज्ञों का मानना है कि इससे व्यापार संतुलन में बड़ा बदलाव नहीं आएगा।
रक्षा साझेदारी पर भी होंगी महत्वपूर्ण चर्चाएंबैठक में रक्षा सहयोग से जुड़े कुछ संवेदनशील मुद्दों पर भी बात होने की संभावना है, हालांकि सूत्रों के मुताबिक किसी बड़े रक्षा सौदे पर अभी त्वरित सहमति बनना मुश्किल है। पिछले वर्षों में भारत के रक्षा आयात में रूस की हिस्सेदारी घटी जरूर है, लेकिन अब भी यह लगभग 36% है।
पुतिन के सम्मान में शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी रात्रिभोज का आयोजन किया है, जिससे इस यात्रा के महत्व का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।