नितिन गडकरी के सैटेलाइट टोल प्रोजेक्ट को झटका, नागरिकों की निजता और सुरक्षा कारण बने बाधा

केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन योजना अब फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की यह योजना राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल प्लाजा मुक्त करने और जितनी दूरी, उतना टोल के सिद्धांत पर आधारित थी, लेकिन नागरिकों की निजता और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे स्थगित किया गया है।

निजता और सुरक्षा को लेकर चिंता

इस योजना के तहत हर वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) ट्रैकिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य था। इससे वाहन की लोकेशन, गति, स्टॉपेज और गंतव्य की जानकारी लगातार रिकॉर्ड होती रहती। अधिकारियों का कहना है कि इस डाटा के दुरुपयोग से आम नागरिकों के निजी जीवन में दखल और वीआईपी मूवमेंट जैसी संवेदनशील जानकारियां लीक होने का खतरा था। यही कारण है कि योजना पर फिलहाल रोक लगाई गई है।

ट्रायल अनुभव और योजना की रूपरेखा

सरकार ने इस तकनीक का ट्रायल बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे और हरियाणा के कुछ हिस्सों में किया था। योजना के अनुसार, वाहन जितनी दूरी तय करेगा, सैटेलाइट के जरिए उतनी ही राशि सीधे बैंक खाते से कटनी थी। इसे लागू करने का उद्देश्य हाईवे पर निर्बाध और बाधा-मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करना था।

अब एएनपीआर पर ध्यान

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी. उमाशंकर ने बताया कि सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह योजना स्थगित कर दी गई है। इसके बजाय मंत्रालय अब ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) तकनीक पर काम कर रहा है। इस प्रणाली में वाहन में किसी डिवाइस की जरूरत नहीं होगी। हाईवे पर लगे कैमरे नंबर प्लेट पढ़कर मौजूदा FASTag वॉलेट से टोल राशि काट देंगे, जिससे तकनीकी और निजता संबंधित समस्याओं से बचा जा सकेगा।

सरकार की सफाई

अप्रैल में मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि 1 मई 2025 से सैटेलाइट आधारित टोलिंग लागू करने की कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने बताया कि चयनित टोल प्लाजा पर ANPR-FASTag आधारित बाधा-रहित टोलिंग प्रणाली ही लागू की जाएगी, जिससे वाहनों की आवाजाही तेज और सुरक्षित बनी रहे।