सुप्रीम कोर्ट ने करूर भगदड़ की CBI जांच के दिए आदेश, विजय की रैली में 41 लोगों की हुई थी मौत

तमिलनाडु के करूर जिले में अभिनेता से राजनेता बने विजय की रैली के दौरान हुई भीषण भगदड़ में 41 लोगों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस दर्दनाक घटना की जांच अब सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश जारी करते हुए कहा कि सच सामने आना जरूरी है, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कई गंभीर टिप्पणियां कीं। अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट को फटकार लगाते हुए पूछा कि जब यह केस पहले से मदुरै बेंच में लंबित था, तो मुख्य बेंच ने बीच में दखल क्यों दिया? कोर्ट ने इसे “न्यायिक अनुशासन के उल्लंघन” की श्रेणी में बताया।

तमिलनाडु सरकार से भी उठे सवाल


सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि जब 10 अक्टूबर को AIADMK को करूर में रैली की अनुमति “स्थान की कमी” बताकर नहीं दी गई थी, तो 27 अक्टूबर को विजय की पार्टी TVK को उसी जगह पर इतनी बड़ी सभा करने की इजाजत कैसे मिल गई? अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की उचित तैयारी की गई थी?

हाईकोर्ट की कार्रवाई पर नाराजगी

जस्टिस माहेश्वरी ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की –

“अपने 15 साल के करियर में मैंने पहली बार देखा है कि जब कोई मामला पहले से डिवीजन बेंच में विचाराधीन हो, तब हाईकोर्ट की एकल बेंच ने अलग से SIT जांच के आदेश दे दिए। यह न्यायिक प्रक्रिया की गंभीर त्रुटि है।”

सुप्रीम कोर्ट ने गठित की निगरानी समिति

सीबीआई जांच के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने 3 सदस्यीय निगरानी समिति गठित करने का भी आदेश दिया है। इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अजय रस्तोगी करेंगे। उनके साथ तमिलनाडु कैडर के दो वरिष्ठ IPS अधिकारी (IGP रैंक) सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे।

अदालत ने स्पष्ट किया कि—

समिति CBI जांच की प्रत्यक्ष निगरानी करेगी।

CBI को हर माह जांच रिपोर्ट समिति को सौंपनी होगी।

समिति को किसी भी समय सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करने का अधिकार होगा।

क्या हुआ था करूर में?

घटना के दिन विजय की राजनीतिक रैली करूर के एक मैदान में आयोजित की गई थी। अधिकारियों के अनुसार, मैदान की क्षमता केवल 10,000 लोगों की थी, जबकि करीब 30,000 लोग रैली में पहुंच गए। सुबह आयोजित होने वाली सभा में विजय करीब 7 घंटे की देरी से पहुंचे, जिससे भीड़ में अफरा-तफरी मच गई। लोगों के एक साथ निकलने की कोशिश में भगदड़ हो गई, जिसमें 41 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और कई घायल हुए।

हादसे के बाद उठे सवाल

राज्य सरकार ने पहले मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए थे, लेकिन विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की थी। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद CBI और निगरानी समिति दोनों जांच में जुट जाएंगी। उम्मीद है कि इस रिपोर्ट से यह साफ होगा कि हादसे की असली वजह प्रशासनिक लापरवाही थी या रैली के आयोजन में कोई गंभीर चूक।