अक्सर देखा गया है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों में भी कई बदलाव आने लगते हैं। टीनएजर्स अपने फैसले खुद लेने लगते हैं और उनका स्वभाव दूसरों के प्रति भी उखड़ा-उखड़ा रहने लगता हैं। जिसकी वजह से उन्हें कुछ भी समझाया जाता है तो वे नाराज होकर बैठ जाते हैं और बड़ों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने लगते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे के जिद्दीपण की इस आदत से परेशानी में है तो आप हमारे द्वारा बताए जा रहे इन टिप्स की मदद से अपने बच्चों को अनुशासन में रहना सिखा सकते हैं। तो आइये जानते हैं इन टिप्स के बारे में।
* घर ही बच्चों का पहला स्कूलदो-ढाई साल की उम्र में बच्चे घर के सदस्यों से सबकुछ सिखते हैं। इसलिए अपने बच्चे में अच्छी आदतें डालने के लिए पेरेंट्स को उनकी इसी उम्र में सचेत हो जाना चाहिए। अपने बच्चों के सामने अपना व्यवहार सहीं रखें जैसे बड़ों को सम्मान दें तो छोटों के साथ प्यार से बात करें। आपको ऐसा करते देख बच्चे भी यहीं सीखेंगे।
* प्ले ग्राउंड में भी रखें अनुशासनअगर आप अपने बच्चों के साथ रोजाना किसी पार्क यानी सार्वजनिक स्थल पर जा रहे है तो वहां भी बच्चों के अनुशासन का पूरा ख्याल रखें। उन्हें दूसरे बच्चों के साथ मिलकर खेलने की शिक्षा दें और मारपीट या गलत हरकतें न करने जैसी बातें समझाएं। इससे बच्चों में इम्पैथी यानी दूसरों की तकलीफ समझने की भावना विकसित होगी और दूसरा खेल-खेल में बच्चे अनुशासन के नियम भी सीख जाएंगे।
* सिखाएं एंगर मैनेजमेंटबच्चे में छोटी-छोटी बातों पर रूठना या जिद्द करने की आदत होती है लेकिन पेरेंट्स को उनकी इस आदत पर ओवर रिएक्ट करने के बजाए धीरे-धीरे उन्हें समझाना चाहिए। उन्हें प्यार से समझाएं कि तुम्हारी हर बात मानना न मुमकिन है। अगर बच्चा गुस्से में तोडफ़ोड़ या हिंसक व्यवहार करने लगे तो उसकी जिद्द को पूरा न करें बल्कि ऐसी स्थिति में उससे शांत रहने को कहें।
* बड़ों का सम्मान करने की दें शिक्षा बच्चों की शरारतें और प्यारी-प्यारी बातें तो सभी को अच्छी लगती है लेकिन कभी-कभी वह कई अपशब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं। बच्चे की ऐसी हरकत को नादानी समझकर इग्नोर न करें क्योंकि इससे बच्चों को अपनी गलती का एहसास नहीं होगा। बच्चों की ऐसी हरकत करने पर उसे रोके न की हंसकर बात को टाल दें।
* बच्चों को सिखाएं विनम्रता का पाठबच्चों को केवल परिवार के साथ ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों के साथ विनम्र व्यवहार अपनाना चाहिए। बच्चे को समझाएं कि उन सभी के साथ प्यार से पेश आना चाहिए जो हमारी मदद करते हैं। इसी के सात उनमें एक आदत ऐसी भी डालें कि वह ऐसे लोगों के लिए अंकल-आंटी या भैया-दीदी जैसे सम्मान सूचक शब्दों का इस्तेमाल करें। इससे उन्हें सामाजिक व्यवहार सीखने में मदद मिलेगी।