दयालुता का भाव बनाता हैं इंसान को खास, बच्चों में इस तरह विकसित करें ये आदत

दुनिया को एक खूबसूरत जगह बनाने के लिए उदारता और दया का होना जरुरी है। किसी जानवर के प्रति लगाव, किसी असहाय या गरीब के लिए सहानुभूति और मदद की भावना होना एक अच्छे इंसान की पहचान है। दयालुता का भाव किसी भी इंसान को और आकर्षक और खास बना सकता है। हांलाकि आज के युवाओं में यह गुण खोता नजर आ रहा हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि बचपन से ही बच्चों की आदत में ऐसी चीजें डालें कि वे दयालु और उदार बन सकें। आपको अपने बच्चों को क्षमा करने की कला को समझने में मदद करते हुए दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण होना सिखाना चाहिए। हम आपको यहां कुछ तरीके बताने जा रहे हैं जो आपको अपने बच्चे को दयालु बनाने में मदद करेगी। आइये जानते हैं इनके बारे में...

उनके लिए एक अच्छे रोल मॉडल बनें

बच्चे अपने परिवेश और अपने आसपास के लोगों से सीखते हैं। दिन भर मिलने वाले प्रत्येक व्यक्ति के प्रति दयालु होना याद रखें ताकि आपका बच्चा आपके व्यवहार से सीख सके और उसे दोहरा सके। यहां तक कि अगर आप थके हुए और निराश हैं, तो भी अपने बच्चे से प्यार से बात करें। कठोर शब्दों का प्रयोग करने के बजाय उन्हें प्यार, समर्थन और देखभाल के साथ अनुशासित करने का प्रयास करें।

सकारात्मक बातें कहने की आदत डलवाएं

अगर आपके पास किसी के बारे में कहने के लिए कुछ अच्छा नहीं है तो कुछ भी न कहें’ इस कहावत के जरिए बच्चों को दयालुता सिखाना एक अच्छा विकल्प है। अपने बच्चे को सकारात्मक बातें कहने की आदत डालना सिखाएं। ऐसी बातें कहलवाने की आदत डालें जो किसी को दुखी करने के बजाय अच्छा महसूस कराएं। जब वे किसी चीज के बारे में नकारात्मक राय रखें तो उन्हें बिना डांटे अपनी जुबान पर कंट्रोल रखना सिखाएं। जैसे अगर उनका कोई दोस्त या क्लासमेट खेल में बहुत अच्छा नहीं है तो आप अपने बच्चे से उसे प्रोत्साहित करने के लिए कह सकते हैं।

उपहार बनाना सिखाएं

वैसे तो उपहार खरीदना अच्छी बात है, लेकिन यह आपके बच्चे को कोई मूल्य नहीं सिखाता। बेहतर है कि आप बच्चे को कम उम्र से ही उपहार बनाना सिखाएं। विशेष मौकों पर बच्चों को अपने हाथों से आर्ट एंड क्राफ्ट आइटम्स बनाने के लिए कहें क्योंकि इसमें न केवल दूसरे के प्रति प्यार बल्कि सम्मान की भावना भी छिपी होती है।

अच्छे काम पर तारीफ करें

हर इंसान को उनकी तारीफ पसंद होती है। बच्चे जब अपनी तारीफ सुनते हैं तो वैसे ही कार्य और अधिक करते हैं ताकि अभिभावक से फिर तारीफ सुन सकें। ऐसे में बच्चे जब नेक और अच्छे काम करें, तो उनकी तारीफ करें। तारीफ मिलने पर बच्चे अधिक अच्छे कामों में सक्रिय होते हैं।

आत्म-करुणा सिखाएं

आत्म-करुणा उच्च स्तर की खुशी और आशावाद की ओर ले जाती है। यह अपने भीतर स्वीकृति, समझ और प्रेम का निर्माण करने की क्षमता है। बहुत से लोग दूसरों के प्रति करुणा और प्रेम बढ़ाने में सक्षम होते हैं क्योंकि वे आत्म-करुणा का पालन करते हैं। दूसरों के प्रति आत्म-करुणा और करुणा दोनों में सावधानीपूर्वक ध्यान देना शामिल है जैसे दूसरे के दुख को समझने की क्षमता और यह जागरूकता कि दूसरे भी पीड़ित हो सकते हैं।

उसका लहजा ठीक करें

दया घर से शुरू होती है। इसलिए, अपने बच्चे के असभ्य या अपमानजनक व्यवहार या कार्यों का समर्थन न करें और उन्हें शिक्षित करें कि इस तरह से बात करना गलत है। इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। बहुत सख्त या दंडात्मक होने के बजाय उनके साथ बैठें, उनके व्यवहार को समझने की कोशिश करें और उन्हें सही करें।

कहने से पहले सोचे

बच्चों को दयालुता का भाव सिखाने के लिए किसी के बारे में कुछ कहने से पहले सोचने के लिए कहें। उनसे पूछें कि जो बातें वे सोच रहे हैं या कहना चाहते हैं अगर कोई उनके बारे में वैसा ही सोचे या कहे तो उन्हें कैसा लगेगा। इस तरह आप उन्हें किसी और का मजाक बनाने से रोक सकते हैं और उनकी काइंड बनने में मदद कर सकते हैं।