वर्तमान समय का जीवन ऐसा हो गया हैं जिसमें देखने को मिलता हैं कि माता-पिता को अपना पैतृक गांव छोड़कर जहां बच्चे नौकरी करते हैं वहां जाकर रहना पड़ता हैं। ऐसे में उन्हें परिवार तो मिल जाता हैं लेकिन पूरे दिन करने के लिए कुछ काम नहीं होता हैं और किसी को जानते नहीं हैं जिसके चलते बोरियत भी महसूस होने लगती हैं। ऐसे में आपकी और बच्चों की जिम्मेदारी बनती हैं कि किस तरह उनके दिन को एक्टिविटीज़ से भरे कि उनका मन लगा रहे और बोरियत महसूस ना हो। आज इस कड़ी में हम आपको इससे जुड़े कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं जो ना केवल अपने दादा-दादी के जीवन में खुशियां ला सकते हैं बल्कि उन्हें एहसास दिला सकते हैं कि उनका जीवन कितना महत्वपूर्ण है। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...
बच्चों की जिम्मेदारी दे
बुजुर्गों पर बच्चों को पढ़ाना, उनके साथ छत पर टहलना, खाना खिलाना जैसी छोटी-मोटी जिम्मेदारियां डालें। इन्हें छोटे बच्चों को ऑनलाइन क्लास दिलवाने की जिम्मेदारी दें। टीचर्स जब बच्चों के साथ दादा-दादी को बैठे देखते हैं, तो उन्हें बाकी बच्चों को किस्से-कहानियां सुनाने या गुड हैबिट्स सिखाने की जिम्मेदारी दे सकते हैं। अपने इस नए रोल से दादा-दादी का दिल बहलेगा और बच्चों को उन पर गर्व होगा।
सोशल गैदरिंग से जोड़ें
अकेलेपन से दूर रखने के लिए आप उन्हें तरह-तरह की सोशल गैदरिंग का हिस्सा बनने में मदद कर सकते हैं। मसलन कहीं फिल्म समीक्षा हो, फिल्म स्क्रीनिंग हो, कला समीक्षा हो तो ऐसी गैदरिंग में वे हिस्सा लेकर खुद को सोसायटी से जुड़ा महसूस करेंगे। समय-समय पर रिश्तेदारों से इनकी वीडियो कॉल जरूर करवाएं। इससे इन्हें यह अहसास रहेगा कि सब लोग अभी भी आपस में जुड़े हुए हैं।
गेम से जोड़ें
अगर आप उन्हें कुछ आउट डोर गेम से जोड़ें तो इससे उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत लंबी उम्र तक अच्छी रहेगी। इसके लिए आप उन्हें गोल्फ, कैरम, पूल, बैडमिंटन, चेस जैसे गेस खेलने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
परफॉर्मिंग आर्ट से जोड़ें
कई बुजुर्गों को आपने क्लासिकस डांस या संगीत परफॉरमेंस के ऑडिएंस के रूप में जरूर देखा होगा। यही नहीं, बुक रीडिंग ग्रुप, एक्टिंग, संगीत आदि से जुड़े ग्रुप से जुड़ने में आप उनकी मदद कर सकते हैं।
आउटडोर एक्टिविटीज
बुजुर्गों को आउटडोर एक्टिविटीज़ का हिस्सा बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें गार्डनिंग, वॉकिंग, बर्ड वॉचिंग, हाइकिंग, पतंगबाजी, नेचर फोटोग्राफी, लाफिंग क्लब, योगा क्लब से जोड़ें। याद रखें कि आपका एक मोटिवेशन उनकी जिंदगी बदल सकता है।
आर्ट-क्राफ्ट
क्रिएटिविटी की कोई उम्र नहीं होती। ऐसे में आप घर के बुजुर्गों को पेंटिंग, ड्रॉइंग, स्केचिंग, पेपरक्राफ्ट , बीडिंग, सिलाई, कढ़ाई आदि से जोड़ सकते हैं। अगर उन्हें ऐसी कोई चीज आती है तो क्लास लेने के लिए भी आप उऩ्हें प्रोत्साहित कर सकते हैं।