लाना चाहते हैं बच्चों में बदलाव, पेरेंट्स अपनी इन आदतों में करें सुधार

हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चो का लालन-पालन अच्छे से हो और इसके लिए वे उन्हें अच्छी सीख देने का काम करते हैं। किताबी ज्ञान से अलग जिम्मेदारी का पाठ बच्चों को घर पर माता-पिता ही सिखा सकते हैं। लेकिन यह सीख तब प्रभावी नहीं होती हैं जब पेरेंट्स खुद ही अपनी आदतों में सुधार नहीं करते हैं। बच्चे अपने प्रेरेंट्स से ही कई बातें सीखते हैं, तो ऐसे में जरूरी हैं कि बच्चों में बदलाव लाने से पहले पेरेंट्स अपनी कुछ आदतों में बदलाव लेकर आए। अगर आप अपनी आदतों में बदलाव करते हैं तो इससे बच्चों में भी बदलाव खुद ब खुद आने लगेगा। यहां हम आपको बताते हैं कि आप अपनी खुद की किन आदतों में क्या बदलाव लाएं जिससे आपका बच्चा आपकी हर बात को सुनें और मानें।


बनाएं एक घंटा जल्दी उठने की आदत

अगर आप सच में अपने बच्चों में कुछ अच्छी आदतों को शामिल करना चाहते हैं तो ऐसे में खुद एक घंटा पहले उठने की आदत डालें। सुबह-सुबह आप इस समय में उनके साथ खेलें। अमूमन बच्चों को यह शिकायत रहती है कि पैरेंट्स उन्हें समय नहीं देते, लेकिन इस आदत के कारण बच्चों की वह शिकायत दूर हो जाएगी। साथ ही, खेलने के उत्साह के कारण वे खुशी-खुशी जल्दी उठना शुरू कर देंगे और जल्द ही उन्हें समय पर सोने की आदत भी हो जाएगी। साथ ही, कोई भी फिजिकल एक्टिविटी जैसे फुटबॉल, बैडमिंटन खेलने या फिर साइकिलिंग रेस करने से वह अधिक फिजिकल फिट भी होते हैं।

लड़ें नहीं


कई माता-पिता बच्चों के सामने ही आपस में लड़ने लगते हैं जिसका असर बच्चों की मानसिकता पर बहुत ही बुरा पड़ता है। ऐसे में अगर जब आप उन्हें लड़ने से मना करेंगे तो वे भी आपकी बात नहीं मानेंगे और लड़कर रहना सीख जाएंगे।

बनाएं साथ भोजन करने की आदत

यह एक ऐसी हैबिट है, जो हर पैरेंट को अवश्य अपनानी चाहिए। आपकी काम की टाइमिंग अलग-अलग हो सकती हैं। लेकिन आप फिर भी सभी की सहूलियत को ध्यान में रखकर दिन का कम से कम एक मील साथ लेने की हैबिट जरूर डालें। इससे सबसे पहले तो बच्चे घर का हेल्दी भोजन करना सीखते हैं और उनकी ईटिंग हैबिट्स सुधरती हैं, जो उन्हें लाभ पहुंचाती हैं। इसके अलावा, मील टाइमिंग के दौरान आप लोग अपनी हैप्पीनेस, परेशानियों व अन्य डे टू डे लाइफ को साथ में शेयर करते हैं, जिससे पैरेंट्स व बच्चों का आपसी बॉन्ड मजबूत होता है।

ना करें बच्चों को इग्नोर


बिजी जिंदगी में अगर बच्चा आपसे अपनी कोई बात शेयर करना चाहता है तो कई बार लोग उसकी बात का सुनने से मना कर देते हैं और उसे इग्नोर कर देते हैं। लेकिन बता दें कि आपके इस बर्ताव की वजह से बाद में आपकी भी बात वे इग्नोर करना सीख जाएंगे।

बनाएं बेड टाइम रीडिंग की आदत

चाहे आपके घर में छोटे बच्चे हैं या फिर बड़े। लेकिन फिर भी आपको बच्चों के साथ बेड टाइम रीडिंग की हैबिट को जरूर अपनाना चाहिए। ऐसा करने से ना केवल बच्चों की रीडिंग सुधरती है, बल्कि उनकी किताबों से दोस्ती भी होती है। अगर आप ऐसा नहीं चाहते हैं तो कम से कम बेड पर लेटे हुए स्टोरी कॉम्पीटिशन किया जा सकता है। जिसमें एक स्टोरी पहले आप सुनाएं और फिर दूसरा बच्चा। इससे बच्चे को मजा भी आता है और वह अधिक कल्पनाशील बनता है। क्रिएटिव माइंड उसे अन्य भी कई क्षेत्रों में लाभ पहुंचाता है।

हमेशा नेगेटिव बातें ना करें


मन कभी-कभी अपसेट हो ही जाता है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप हमेशा नेगेटिव ही रहें। इससे बच्चे पर भी इसका असर बढ़ेगा। बच्चे के सामने पॉजिटिव बातें करें, जिससे कि उसकी मेंटल और फिजिकल ग्रोथ अच्छी हो।

बनाएं कुकिंग की आदत

आज के समय में अधिकतर पैरेंट्स अपने बच्चे के बाहर के खाने की आदत से परेशान रहते हैं और यह हैबिट बच्चों को मोटा व बीमार बनाती है। लेकिन इसके पीछे कहीं ना कहीं पैरेंट्स ही जिम्मेदार होते हैं। उन्हें खुद बाहर के खाने की क्रेविंग होती है और फिर बच्चे भी उनकी देखा-देखी ऐसा करते हैं। इसलिए, सबसे पहले आप यह हैबिट बनाएं कि आप होममेड कुक फूड ही खाएंगे और घर में बनी सभी सब्जियों को खाने की कोशिश करें, भले ही वे आपको पसंद ना हों। ऐसा करने से बच्चों को भी सभी सब्जियां खाने की हैबिट होगी।

बनाएं गुल्लक


आज के समय में बच्चे पैसों की कद्र करना नहीं जानते हैं। शायद ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि पैरेंट्स उनकी हर डिमांड को पूरा कर देते हैं। लेकिन अब आप अपनी इस आदत को बदलें। कोशिश करें कि आप बच्चे के लिए गुल्लक बनाएं। आप नियम से उसमें कुछ पैसे जोड़ें। माह के अंत में बच्चा जमा हुए पैसों से कुछ भी खरीद सकता है। ऐसा करने से बच्चे में धैर्य के गुण का संचार होता है। उसे पता है कि उसे एक निश्चित समय पर ही पैसे मिलेंगे। इसके अलावा, जब गुल्लक में पैसे डाले जाते हैं तो बच्चे को लगता है कि यह उसी के पैसे हैं। ऐसे में बेवजह पैसे को खर्च करने की आदत को भी छोड़ देता है। यह मनी मैनेजमेंट उन्हें आगे चलकर भी लाभ पहुंचाता है।

दोष देने से बचें

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बच्चों की कुछ आदतें पैरेंट्स को अच्छी नहीं लगती। ऐसी स्थिति में उसे भला-बुरा न बोलें। उस पर बात-बात पर दोष न डालें। अच्छी पैरेंटिग का मतलब यह होता ही कि आप कितना भी गुस्सा या नाराज क्यों न हो, बच्चों के सामने ये बात जाहिर नहीं होनी चाहिए।

बनाएं अपना काम खुद करने की आदत


कुछ पैरेंट्स की यह आदत होती है कि जब वे ऑफिस से लौटते हैं तो थकान के कारण अपना बैग लिविंग एरिया में ही छोड़ देते हैं या फिर अपनी चीजों को लापरवाही से छोड़ देते हैं। ऐसे में बच्चे भी स्कूल से लौटने के बाद इधर-उधर फेंक देते हैं। ऐसे में अगर आप बच्चों को अधिक आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं तो इसका सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपना काम खुद करें। मसलन, ऑफिस से लौटने के बाद अपना बैग व जूते सही जगह पर रखें। अगर आपको किसी चीज की आवश्यकता है तो अपने पार्टनर या बच्चों को बोलने की जगह खुद उसे पूरा करने की कोशिश करें। आपकी इस एक छोटी सी आदत के कारण बच्चों के सामने एक उदाहरण सेट होता है और फिर बच्चे भी इस गुण को अपना लेते हैं।