क्या आप भी बनने जा रहे हैं पहली बार पिता, इन बातों का ध्यान रखने से होगी सहूलियत

किसी भी महिला के लिए मां बनना एक सुखद अहसास होता हैं और वे खुलकर इन पलों का आनंद लेती हैं। लेकिन पुरुषों के लिए भी पिता बनना बहुत खुशी की बात होती हैं जिसे वे दिखा नहीं पाते हैं लेकिन उनके मन का हाल वे ही जानते हैं। बच्चा आने के बाद जिस तरह एक मां की जिंदगी में बदलाव आता हैं, उसी तरह पिता को भी कई बदलाव का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे समय में नए बनने जा रहे पिता को कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती हैं ताकि जज्बातों और जिम्मेदारी के साथ आपको सहूलियत भी मिल सकें। तो आइये जानते हैं इन बातों के बारे में।

ज़रूरी तैयारियां करें पूरी

बच्चे के जन्म लेते ही उनके लिए कई तरह की चीज़ों की ज़रूरत होने लगती है। बच्चे की ज़रूरत का सारा सामान जैसे कपड़े, खिलौने, दवाइयां, बिस्तर और कमरे को तैयार करने की कोशिश खुद भी करें और अपनी पत्नी के साथ मिलकर भी तैयारियां पूरी करवाएं, जिससे आपका जुड़ाव बच्चे से और भी ज्यादा हो सके।

बच्चे के साथ समय बिताएं


माँ तो बच्चे के साथ समय बिताती ही है लेकिन पिता के लिए भी ज़रूरी है कि वो अपने बच्चे के साथ समय बिताये। इसके लिए वो पैटर्निटी लीव भी ले सकते हैं। माँ की तरह पिता भी बच्चे की नैपी बदलने की, उसको सुलाने की, लोरी सुनाने की और अगर वो बॉटल से फीड करता है तो उसको फीड कराने की ज़िम्मेदारी निभाने में भी इंट्रेस्ट दिखाएं। ये आपको भावनात्मक तौर पर बच्चे के और भी करीब लाएगा साथ ही आपकी पत्नी की मदद भी हो सकेगी।

बच्चे के अनुसार आदतों को बदलें

न्यू बोर्न बेबी ज्यादातर दिन में सोते और रात में जागते हैं। बच्चों की इस आदत से बहुत सारे पुरुष खीज जाते हैं। आपको इन बातों से परेशान होने की ज़रूरत नहीं है बल्कि धैर्य के साथ अपनी आदतों को बच्चे के अनुसार ढालने की ज़रूरत है। अगर आपको सुबह ऑफिस जाना भी तो पत्नी के साथ एडजस्टमेंट करके बारी-बारी सोने और जागने का टाइम सेट करें। इससे आपकी पत्नी के दिल में आपके लिए रिस्पेक्ट और बढ़ेगी तो वहीं बच्चा समझदार होने पर जब ये बातें जानेगा, तो माँ की तरह आपके साथ भी उसकी फीलिंग बेहद स्ट्रांग होगी।

यादों को सहेजें


अपने बच्चे के साथ बिताये पलों की यादों को सहेजने की कोशिश करें। आज कल स्मार्ट फोन के दौर में सभी के हाथ में हर समय कैमरा रहता है। ऐसे में उन छोटे-छोटे पलों को फोटो और वीडियो के ज़रिये कैप्चर करें जो बच्चे के बढ़ते दौर में वापस देखना संभव नहीं होगा। उसके पहली बार बैठने, खड़ा होने, चलने और बोलने जैसे पलों के साथ ही उसके द्वारा की जा रही ख़ास गतिविधियों पर भी ध्यान रखें।