समय के साथ पेरेंट्स की भूमिका बदली जरूर है लेकिन उसके मूल रूप में बदलाव ना आएं यही बेहतर होगा। बढ़ते बच्चों के साथ ज्यादा दोस्ताना रवैया कहीं नुकसानदायक तो नहीं ? यह समझने की जरूरत है। आज की पीढ़ी के बच्चों से पेरेंट्स के दोस्ताना बर्ताव से अभिव्यक्ति की आजादी तो अवश्य मिली लेकिन अनुशासन संस्कार और नैतिक मूल्यों में गिरावट भी हुई है। इसलिए बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखने से पहले इन बातों का ध्यान रखें।
बोलचाल में रखें ध्यान अक्सर देखने में आता है कि पेरेंट्स अपने बढ़ते बच्चों से मजबूत और भरोसे का रिश्ता बनाने के इरादे से उनकी तरह की बोलचाल और हंसी मजाक की शैली अपनाने में लगे रहते हैं। बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखते हुए पेरेंट्स होने की मर्यादा का उल्लंघन ना करें। ताकि बच्चे आपको हम उम्र की तरह ट्रीट करने लगे।
नैतिक मूल्यों की सी
बच्चे अपने बड़ों को घर की बुजुर्गों से बातचीत और व्यवहार पर पैनी नजर रखते हैं। बचपन से घर के बुजुर्गों के साथ बड़ों द्वारा मान सम्मान का बर्ताव किया जाता है। वहां के माहौल में पले बड़े बच्चों का व्यवहार अपने पेरेंट्स के साथ हमेशा ही गरिमा पूर्ण होता है।
अंतर समझाएंबच्चों को यह बार-बार जताना बेहद जरूरी होता है कि घर में किसी भी तरह की अश्लीलता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा घर और बाहर के माहौल के पंख को उन्हें महसूस कराएं। इसके लिए पेरेंट्स खुद को उसी तरह से डालने की कोशिश करें।
डटे रहे अमूमन जहां एक और पैरेंट्स बच्चों के बर्ताव और बात करने के ढंग से मन ही मन आहत जरूर होते हैं ,वहीं दूसरी और उनमें सुधार लाने की जगह पर खुद ही हार मान लेते हैं। उनकी गलतियों को बढ़ावा ना दें। उन्हें सही और गलत का फर्क सिखाएं जरूरत पड़ने पर कभी-कभी थोड़ी बहुत ही दिखाना भी गलत नहीं है।