आज के समय में इंसान अपनी जरूरतों को पूरी करने के चक्कर में अपने परिवार को समय नहीं दे पाता है जिसका उनके रिश्तों पर गहरा असर पड़ता हैं। खासकर बच्चों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता हैं। मानते हैं कि अप अपने बच्चों के लिए ही सबकुछ कर रहें हैं लेकिन आपके समय के बिना बच्चे खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं। और फिर वे अपना अकेलापन दूर करें के लिए मोबाइल और दूसरे गेजेट्स का सहारा लेते हैं। जो कि उनकी मानसिकता के लिए बहुत खतरनाक है। इसके लिए उन्हें एहसास होने दें कि आप के लिए वे महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि आप के बच्चों को आप के तोहफों से ज्यादा आप की मौजूदगी की जरूरत है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिनसे आप प्यार के साथ दूर करें बच्चों का अकेलापन।
* छोटे कदम, बड़े परिणाम हमारे छोटेछोटे कदम बच्चों के मस्तिष्क पर बहुत प्रभाव डालते हैं। बच्चों को गुडमौर्निंग, गुडआफ्टरनून, गुडनाइट विश करना, स्कूल जाते समय गुड डे कहना, उन्हें गले लगा लेना, उन्हें गोद में उठा लेना, उन्हें देख कर प्यार से मुसकराना, अपने बच्चे के गाल पर किस करना आदि बच्चों के साथ की गई अभिभावकों की छोटीछोटी ये क्रियाएं दर्शाती हैं कि ‘मुझे तुम्हारा खयाल है।’
* भोजन का वक्त खुशियों का वक्त पेरैंट्स को चाहिए कि वे दिन में कम से कम एक समय का भोजन बच्चे के साथ बैठ कर करें और बेहतर होगा डिनर करें क्योंकि यही वह समय होता है जब सभी सदस्य काम से लौट कर दिनभर की थकान के बाद एकसाथ बैठते हैं। पूरे परिवार के साथ बैठ कर बातें करने को अपनी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बनाएं और उन से दिनभर के काम व उपलब्धियों के बारे में बात करें।
* समय को लम्हों से मापें बच्चों के साथ समय बिताने के लिए तरीके ढूंढ़ें। उन्हें घर के छोटेछोटे काम करने के लिए प्रोत्साहित करें। इस से न सिर्फ आप को उन के साथ ज्यादा समय बिताने में मदद मिलेगी बल्कि इस से उन में जिम्मेदारी का एहसास भी आएगा। इस के साथ ही यह बच्चे व आप के बीच खुशनुमा और दुखभरी बातें साझा करने के लिए भी सही समय होगा।
* कहानी सुनाएं, समां बाधें बच्चों के साथ किताबें पढे़ं। बच्चों को नई कहानियां हमेशा रोमांचक लगती हैं। उन को नई किताबों से परिचित कराएं, उन के साथ बैठ कर खुद भी कुछ नई और अच्छी कहानियों से जानपहचान करें। इस से आप और आप के बच्चे जानकारी भी हासिल कर पाएंगे और साथ में अच्छा समय भी व्यतीत कर पाएंगें।
* सन डे, फन डे, हौलिडे अपने परिवार के साथ आउटिंग पर जरूर जाएं, फिर चाहे यह बड़ी हो या छोटी। और हां, अपने गैजेट्स साथ ले कर नहीं जाएं। आउटिंग पर उन के साथ बातचीत करें, मस्तीभरे खेल खेलें और जीवन को खुल कर जिएं। अपने बचपन के दिनों को याद करें, बचपन की यादें ताजा करें और अपने बचपन में खेले जाने वाले खेलों को बच्चों के साथ फिर खेलें। सप्ताह के दौरान जीवन में आने वाली एकरूपता को तोड़ने का सब से अच्छा तरीका है, फिर से बच्चा बन जाना।