हर माता-पिता की कोशिश यही रहती हैं कि बच्चों को अच्छे संस्कार देते हुए उन्हें अनुशासित बनाया जाए। लेकिन वर्तमान परिवेश में कई कारणों की वजह से बच्चों का स्वभाव बदलने लगा हैं और जिद्दीपन उन पर हावी हो रहा हैं। बच्चों का यह जिद्दीपन पेरेंट्स के लिए तो परेशानी का कारण है ही, लेकिन इसी के साथ ही बच्चों के भविष्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता हैं। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि किसी भी तरह बच्चों की जिद करने की आदत को सुधारा जाए। अगर आपका बच्चा भी अधिक जिद्दी है और किसी की बात नहीं सुनता तो आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से बच्चों की समझाइश करते हुए उन्हें अनुशासित बनाया जा सकता हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...
बच्चे के मन की बात समझें
अक्सर बच्चे अभिभावकों या किसी का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए हर छोटी बात पर जिद करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह से आप उनपर ध्यान देंगे। वह अपने दिल की बात शेयर नहीं कर पाते, तो जिद के जरिए अपनी बात मनवाने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए सबसे जरूरी है कि आप बच्चे के स्वभाव को देखकर उनके मन को समझने की कोशिश करें। उन्हें क्या चाहिए, यह उनके कहने से पहले समझने का प्रयास करें।
बहस करने से बचें
जिद्दी बच्चे बहस करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं इसलिए आपको उन्हें ये मौका नहीं देना है। इसकी बजाय अपने बच्चे की बात सुनें। जब आप उसकी बात को सुनने लगेंगे तो वो भी आपकी बात पर ध्यान देने की कोशिश करने लगेगा। अगर उन्हें यह महसूस होने लगे कि उनकी बात नहीं सुनी नहीं जा रही हो तो वो धीरे-धीरे आपकी हर बात को दरकिनार करना शुरू कर देंगे।
बच्चों के साथ जबर्दस्ती बिल्कुल ना करें
जब आप अपने बच्चों के साथ किसी भी चीज को लेकर जबर्दस्ती करते हैं तो वे स्वभाव से विद्रोही होते चले जाते हैं। तत्कालिक तौर पर तो कई बार जबर्दस्ती से आपको समाधान तो मिल जाता है लेकिन आगे के लिए ये खतरनाक होता चला जाता है। बच्चों से जबरन कुछ करवाने से वे वही कुछ करने लगते हैं जिनसे उन्हें मना किया जाता है। आप अपने बच्चों से कनेक्ट होने की कोशिश करें। जो बच्चे अपने पैरेंट्स से कनेक्टेड महसूस करते हैं वे समझदार हो जाते हैं। जिद्दी बच्चों के साथ ऐसा ही रिश्ता बनाएं जिसकी अनदेखी करना उनके लिए मुश्किल हो जाएं। उन्हें खुद से जुड़ा हुआ महसूस कराने के लिए एक कदम बढ़ाएं और उन्हें गले लगाएं।
बच्चे को समझाएं सही-गलत का फर्क
अक्सर बच्चे की बात को लेकर जिद करते हैं तो अभिभावक उन्हें डांटकर चुप करा देते हैं लेकिन उनकी जिद न पूरी करने की वजह नहीं बताते। इससे बच्चा असंतुष्ट रहता है और किसी न किसी बात पर जिद करता रहता है। ऐसे में उन्हें सही और गलत का फर्क बताएं। उन्हें प्यार से समझाएं कि उनकी जिद गलत क्यों है। ताकि वह उस चीज को लेकर दोबारा जिद न करें।
न करें गुस्सा
अभिभावक अक्सर बच्चे की गलती पर गुस्सा हो जाते हैं और उन्हें बात बात पर डांटते भी हैं। बच्चे का स्वभाव भी इस कारण गुस्सैल या चिड़चिड़ा हो जाता है। इसी स्वभाव के कारण उनकी मांग पूरी न होने पर वह जिद करने लगते हैं। इसलिए उनपर हर बात पर गुस्सा न हों। पहले बच्चे को बोलने का मौका दें। उनकी बात को ध्यान से समझें और उसी के मुताबिक उन्हें शांति से जवाब दें। डांट से समझाने की बजाय प्यार से समझाई गई बात बच्चा आसानी से समझ जाता है।
नियम बनायें
आपको कुछ चीजों के लिए नियम बनाने की जरूरत भी है क्योंकि जिद्दी बच्चों को समझाने और उनको डील करने के लिए ऐसा करना जरूरी है। बच्चों को समझाएं कि नियम तोड़ने पर उन्हें क्या नुकसान हो सकता है। आप लगातार बच्चे को नियम और अनुशासन में रखेंगे तो बच्चे का जिद्दीपन कुछ हद तक कम होगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि नियम और अनुशासन बहुत ज्यादा सख्त न हो।
बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाएं
अभिभावक के व्यस्त होने पर अक्सर वह बच्चे की कई बातें अनसुना कर देते हैं। इस कारण भी बच्चा अपनी बातें मनवाने के लिए अभिभावक के सामने जिद करने लगता है। उसे लगता है कि बार बार कहने से ही अभिभावक उसकी बात सुनेंगे वरना अनसुना करके भूल जाएंगे। ऐसे में बच्चे को समझाएं कि आप उनकी बातें ध्यान से सुनते हैं और उसे गंभीरता से भी लेते हैं। इसलिए बच्चे को अपनी बात उन तक पहुंचाने के लिए कई बार एक ही बात दोहराने या जिद करने की जरूरत नहीं है।
उनके साथ काम करें-
जिद्दी बच्चे या अड़ियल रवैये वाले बच्चे बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं और वे इस बात को गहराई से महसूस करते हैं कि आप उनके साथ कैसा बर्ताव करती हैं। इसलिए अपनी टोन, बॉडी लैंग्वेज, अपने शब्दों को लेकर खास सावधानी बरतें। जब उन्हें आपका व्यवहार अच्छा नहीं लगता है तो वे खुद को बचाने के लिए सब कुछ करने लगते हैं। अगर आप अपने बच्चे से कुछ करवाना चाहती हैं तो उसे कुछ मजेदार तरीके से करवाएं। जैसे कि आप चाहती हैं कि आपका बच्चा खिलौने समेटें तो पहले खुद से ही समेटना शुरू करें औऱ फिर उससे कहें कि क्या वह आपकी मदद कर पाएगा? आप ये भी कह सकती हैं कि आओ देखते हैं कि कौन तेजी से खिलौने समटेता है। ऐसे तरीके कारगर साबित होते हैं।