गलतियों को छिपाने के लिए झूठ बोलना सबसे आसान होता है। हालांकि बच्चे को शुरू में ही इस आदत से दूर कर दिया जाए तो आगे चलकर ज्यादा परेशानी नहीं होती। इसके लिए बेहद जरूरी है कि मां-बाप बच्चे के झूठ को पकड़ें और उसे टोकें। हालांकि बच्चे बहुत सावधानी से झूठ बालते हैं लेकिन आप चाहें तो इन बातों को आधार बनाकर अपने बच्चे के झूठ को आसानी से पकड़ सकते हैं...
चेहरे के हाव- भाव
ये भ्रम है कि हर कोई फेस रीडिंग नहीं कर सकता। बहुत कम लोग होते हैं, जो अपनी भावनाएं छिपा लेते हैं। बच्चे तो बिल्कुल नहीं छिपा सकते। बच्चे के चेहरे और बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें। अकसर झूठ बोलते वक़्त बच्चे नज़रें चुराते हैं, कपड़े के कोने से खेलते हैं, उनके माथे पर बल पड़ने लगता है। या फिर पसीना भी आने लगता है।
एक बात को बार- बार दोहराना
बच्चे जब झूठ बोलते हैं तो वे एक ही बात को बार-बार दोहराते हैं। उन्हें लगता है कि एक ही बात को बार-बार कहने से उनकी झूठी बात भी सच्ची लगेगी।
बात बदलने पर सहज महसूस करना
अगर किसी ने झूठ बोला है, तो बात बदल देने पर वो बहुत सहज महसूस करने लगता है। आप बात बदलकर भी बच्चे का रिएक्शन देख सकते हैं। अगर उसका रिएक्शन बदल जाए, तो समझ जाइये कि वो कुछ छिपा रहा है।
बच्चा एकदम से गुस्से में आ जाये
अगर बच्चे के स्वभाव में अचानक से फ़र्क आए, जैसे कि अगर कोई शांत स्वभाव का बच्चा एकाएक गुस्सा करने लगे, तो ये समझ जाना चाहिए कि मामला गड़बड़ है। अगर बच्चा ओवररियेक्ट करने लगे यानि कि वो कोई बात छिपा रहा है और बार-बार एक ही सवाल पूछे जाने से चिड़चिड़ा हो गया है।
व्यवहार में बदलाव
अगर आपको बच्चे के व्यवहार में बदलाव लगे और आप ये महसूस करें कि उसकी ज्यादातर बातें बनावटी होती हैं तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए।