बच्चों में चुस्ती और स्फूर्ति होनी चाहिए ताकि वे दिनभर खेल सकें और खुद को स्वस्थ रख सकें। लेकिन सर्दियों के इन दिनों में देखा जाता हैं कि बच्चे आलसी हो जाते हैं और रजाई-कंबल में घुसे रखते हैं। पेरेंट्स भी इसे नजरअंदाज करते हैं। लेकिन ऐसे समय में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती हैं कि अपने बच्चों को एक्टिव बनाया जाए ताकि उनका मानसिक और शारीरिक विकास हो सकें। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे टिप्स देने जा रहे हैं जिनका ध्यान रख सर्दियों के दिनों में बच्चों को एक्टिव बनाया जा सकता हैं।
सबसे पहले खुद बनें एक्टिव
बच्चे अक्सर वही काम करते हैं जो उनके माता-पिता उनके सामने करते हैं। ऐसे में माता-पिता सबसे पहले अपने अंदर के आलस को खत्म करना जरूरी है। तभी वह बच्चे के आलस को भी खत्म कर पाएंगे। माता-पिता सुबह उठकर मॉर्निंग वॉक करें या एक्सरसाइज करें। उनके एक्सरसाइज या वॉक करने से बच्चा भी उन्हें देखकर प्रोत्साहित होगा और अपनी दिनचर्या में वॉक और एक्सरसाइज जैसी जरूरी गतिविधियों को जोड़ेगा।
ना लगाएं कोई रोक टोक
अगर बच्चा अपना कोई मन का काम कर रहा है तो उसे वो काम करने दें। भले ही उस काम से उसके भविष्य पर कोई प्रभाव ना पड़े। लेकिन ज्यादा रोक टोक लगाने से बच्चे का मनोबल कमजोर हो सकता है और इसका असर उसके एक्टिवनेस पर भी पड़ सकता है। ऐसे में बिना रोक टोक लगाए बच्चे को काम करने दें। इससे अलग ज्यादा रोक टोक के कारण बच्चा आपसे दूर भी हो सकता है। ऐसे में बच्चे के साथ फ्रेंडली नेचर रखना जरूरी है तभी वे आपकी बात मानेगा और अपना आलस दूर करने की कोशिश कर सकता है।
सुबह उठकर बिस्तर रखवाएं
सर्दियों में अक्सर आपने देखा होगा कि पूरे दिन बच्चे बिस्तर में कंबल के अंदर पड़े रहते हैं। ऐसे में बिस्तर की गरमाई बच्चों को आलसी बना सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि सुबह उठकर सबसे पहले आप बच्चों से उनके बिस्तर उठवाएं और रात को ही उन्हें कंबल में घुसने की इजाजत दें। पूरा गिन बिस्तर पर बैठे रहने से या कंबल में घुसे रहने से बच्चे न केवल आलसी बन सकते हैं बल्कि वे शारीरिक गतिविधियों से भी दूर रह सकते हैं।
रोज नहाना है जरूरी
सर्दियों में अक्सर बच्चे आलस के कारण 1 दिन छोड़कर एक दिन नहाना शुरू कर देते हैं। इसके कारण वरना फ्रेश महसूस कर पाते हैं और ना ऊर्जावान। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि सुबह उठकर बच्चों को रोज नहाने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से ना केवल बच्चे कई समस्याओं से दूर रह सकेंगे बल्कि ऊर्जावान महसूस कर पाएंगे। हालांकि यदि बच्चे को कोई शारीरिक समस्या या सीजनल बुखार है तो नहलाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
इवनिंग वॉक भी है जरूरी
यदि आप अपने बच्चे से कहेंगे कि तुम शाम को वॉक करने जाओ तो वह खुद अकेले जाने में आलस महसूस करेगा। ऐसे में आप इवनिंग वॉक पर अपने साथ अपने बच्चे को लेकर जाएं। इससे ना केवल बच्चा इवनिंग वॉक के लिए प्रेरित होगा बल्कि खुद को एक्टिव भी महसूस कर सकेगा। इवनिंग वॉक करने से बच्चों को कई शारीरिक समस्याओं से दूर रख सकता है और ऊर्जावान भी बन सकता है।
डांस जैसी एक्टिविटी जोड़ें
सर्दियों में यदि आप अपने बच्चों को एक्टिव रखना चाहते हैं तो उनकी दिनचर्या में डांस, योगा आदि एक्टिविटीज को जोड़ें। ऐसा करने से न केवल बच्चे एक्टिव बनेंगे बल्कि उनकी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियां भी जुड़ेंगी। डांस एक तरीके की थेरेपी होती है जिससे शरीर को कई समस्याओं से दूर रख सकती है और इसके माध्यम से शरीर को फ्रेश भी रखा जा सकता है।
माता-पिता का धैर्य रखना जरूरी
सर्दियों में बच्चे के व्यवहार में बदलाव आना स्वाभाविक है या उसका आलसी होना स्वाभाविक है। ऐसे में यदि आप उसके व्यवहार में बदलावा लाना चाहते हैं तो थोड़े धैर्य रखने की जरूरत है। हो सकता है कि वो शुरुआत में आपकी बातें ना मानें या आपके द्वारा दिए टास्क को ना अपनाएं तो ऐसे में उसे डांटे नहीं बल्कि धैर्य से काम लें।
मजेदार एक्टिविटी दें
अपने बच्चे को कुछ ऐसी एक्टिविटी ढूंढकर दें जिसे वह एन्जॉय करें। क्योंकि जब बच्चे एक्टिविटी को आनंद के साथ करेंगे तो उतनी ही देर उस गतिविधि में खुद को व्यस्थ रखेंगे और उनका दिमाग भी उस गतिविधि को करने में इन्वॉल्व रहेगा। ऐसे में ध्यन दें कि बच्चे के साथ-साथ उस गतिविधि को पूरा करने में पूरा परिवार बच्चे का साथ दे।
आउटडोर गेम्स खेलने पर दें जोर
अपने बच्चे को आउटडोर गेम्स खेलने पर जितना हो सके उतना जोर दें। क्योंकि आउटडोर गेम्स खेलने से बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बन सकता है। हालांकि हो सकता है कि सर्दियों में बच्चे आउटडोर गेम के लिए मना करें ऐसे में आप आउटडोर गेम के लिए बच्चों को प्रेरित करें। लेकिन ध्यान दें कि महामारी के समय में बच्चों का बाहर जाना सही नहीं है ऐसे में माता पिता अगर अपने बच्चे को बाहर खेलने के लिए भेज रहे हैं तो जरूर बचाव जैसे- मास्क का इस्तेमाल, सैनिटाइजर का इस्तेमाल आदि का ध्यान रखें।