अक्सर कई लोगों को देखा गया है कि वे अपनी बात दूसरों के सामने नहीं रख पाते हैं और उसमें झिझक महसूस करते हैं। ऐसा ही बच्चों के साथ भी होता हैं कि वे दूसरों के सामने अपनी बात नहीं कह पाते हैं, जो आगे चलकर परेशानी का कारण बनता हैं। ऐसे में जरूरी होता हैं कि बचपन में ही उनकी इस परेशानी का हल ढूँढा जाए। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को अपनी बात रखने के लिए तैयार कर सकते हैं। तो आइये जानते है इस बारे में।
* जितना बच्चे अपने आप पर विश्वास करेंगे उतना ही अधिक वह आक्रामक किस्म के बच्चों से बचना या निपटना सीख सकेंगे। इसके लिए उन्हें आक्रामक बच्चों की आंखों में देखते हुए न कहना सिखलाएं। इसके अलावा बच्चों को यह भी सिखलाने की जरूरत है कि अगर उन्हें किसी भी बच्चे, बड़ा-बुजुर्ग, पड़ोसी, रिश्तेदार, कोई अन्य जानकर या अनजान व्यक्ति धमकाएं या कोई गलत हरकत करें तो वह बिना डरे अपने माता-पिता से इस बात को सांझा करें।
* अपने बच्चों को आक्रमक बच्चे की आंखों में देखते हुए न कहना सिखाएं। इसके अलावा उन्हें यह भी यह भी सिखाएं कि उन्हें क्या और कैसे जवाब देना है।
* बच्चों को सिखलाएं कि उन्हें कोई चीज कैसे मांगनी चाहिए जैसे आपके पढ़ने के बाद क्या कुछ देर के लिए मैं यह पुस्तक ले सकता हूं।
* आप उन्हें बोर्ड पर आई शब्द की उदाहरण दें और फिर बच्चो को भी कई परिस्थितियां बताते हुए और उदाहरण देने को प्रोत्साहित करें। उन्हें बताएं कि आई संदेशों को पॉजिटिव भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
* उन्हें बताएं कि दृढ़ता पूर्वक किन्तु सभ्य व विनम्र ढंग से किसी के अनुरोध, विनती या निवेदन का किस ढंग से जवाब देना चाहिए।