पढ़ाई के बाद याद किया हुआ भूल जाते हों बच्चे, पेरेंट्स यूं करें मदद

हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर काबिल इंसान बने और सफलता की बुलंदियों को हासिल करें। बच्चे भी कोशिश करते हैं कि वे पढ़ाई करें और अच्छे अंक हासिल करें। लेकिन कई बार बच्चों के साथ यह परेशानी आती हैं कि उन्हें पढ़ा हुआ याद ही नहीं रहता हैं और पढ़ाई से मन उठने लगता हैं। बच्चे फिर बहाना बनाकर पढ़ाई से बचने की सोचते रहते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को समझते हुए बच्चों का साथ देने की जरूरत हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बच्चों को पढ़ाने के तरीके बताने जा रहे हैं ताकि बच्चों को सही से पढ़ाया जा सकें और वे याद किया हुआ हिस्सा कभी भी ना भूलें। तो आइये जानते हैं कैसे दें बच्चों का साथ...

बच्चे को रट्टा न लगवाएं

पढ़ाते समय ध्यान रखें कि बच्चे को विषय के बारे में समझाएं। अक्सर बच्चे जब विषय को समझ नहीं पाते तो उसे याद करने के लिए रट्टा लगाते हैं। रटने से बच्चा अच्छे नंबर तो ला सकता है, लेकिन विषय की समझ न होने से उसके ज्ञान का विस्तार नहीं होता। साथ ही अगर बच्चा रटा हुआ पाठ भूल जाता है तो वह परीक्षा में उस विषय पर एक लाइन भी खुद से नहीं लिख पाएगा। इसलिए बच्चे में विषय को समझने की आदत डालें, न कि रटने की।

नंबर नहीं, कुछ सीखने की उम्मीद दें

अक्सर माता-पिता बच्चे को अच्छे नंबर लाने पर जोर देते हैं जबकि ऐसा करने बिलकुल गलत है। आपको अच्छे नंबर लाने की बजाय अपने बच्चे को सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उससे पूछें कि उसने स्कूल में क्या किया और आज क्या सीखा।

लाइफ से करें रिलेट

बच्चों को पढ़ाते समय सिर्फ किताबी ज्ञान देने से बच्चे बोर होने लगते हैं और टॉपिक को सही तरह से नहीं समझ पाते हैं। इसलिए पढ़ाते समय बच्चों को कुछ रियल लाइफ उदाहरण देना न भूलें। इससे बच्चों की विषय में दिलचस्पी बढ़ेगी और बच्चे जिंदगी से जुड़े उदाहरणों के जरिए चीजों को हमेशा याद रख सकेंगे।

स्टडी शेड्यूल बनाएं

अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा सही समय पर पढ़ाई करे और उसे खेलने-कूदने का भी समय मिले तो उसके लिए एक स्टडी शेड्यूल तैयार करें। इसमे सिर्फ होमवर्क ही न करवाएं बल्कि क्लास में सिखाई और पढ़ाई गई चीजों के बारे में भी बात करें।

गाने की तरह याद कराएं

देखा जाता है कि बच्चों को कोई गाना पूरा पूरा याद होता है लेकिन वहीं जब पाठ याद करने की बात होती है तो वह भूल जाते हैं। इसलिए जब भी उन्हें कुछ याद कराएं तो कविता या गाने की तरह गाकर पढ़ाएं। साइंस, इंग्लिश और हिंदी आदि विषयों पर बच्चे को जब बच्चे किसी गाने की पंक्तियों के तौर पर सुनते और गुनगुनाते हैं, तो उन्हें पाठ याद रखना आसान हो जाता है।

बच्चे के लर्निंग स्टाइल को समझें

आपके लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि आपके बच्चे की सीखने और याद करने की क्षमता कैसी है। वो बोल-बोल कर याद करता है या लिखने से उसे जल्दी याद होता है। इससे आपको पढ़ाने में आसानी होगा।

रिवीजन करना जरूरी

बच्चे को एक पाठ पढ़ाने के बाद आप अगले दिन दूसरा पाठ पढ़ाने लगते हैं। लेकिन पढ़ाए गए चैप्टर का रिवीजन भी जरूरी है। किसी विषय को अगर बार बार लिखकर याद किया जाए, तो वह पूरी तरह से दिमाग में बस जाता है। इसलिए हर नए चैप्टर की शुरुआत से पहले पुराने पाठों को रिकॉल जरूर कराते रहें।


फेलियर पर न करें गुस्सा

जिंदगी में हार-जीत को चलती रहती है और पढ़ाई में फेल होने का बोझ बच्चे पर डालना बहुुत गलत है। अगर आपके बच्चे के कम नंबर आते हैं उसे डांटे नहीं और न ही उसके दोस्तों या किसी और के आगे शर्मिंदा करें । बच्चे को दोबारा कोशिश करने और बेहतर परफॉर्म करने के लिए मोटिवेट करें।

पढ़ाई का माहौल बनाएं

अगर बच्चे को वाकई पढ़ाना है तो पेरेंट्स इस पर गौर करें कि बच्चों के लिए घर में एक पढ़ाई का माहौल तैयार करें। बच्चे की पढ़ाई के दौरान किसी भी तरह का शोर, अड़चन ना आने दें और ना ही टीवी चलाएं। शांत माहौल में ही बच्चा अच्छे से पढ़ाई कर सकेगा। इसके लिए पेरेंट्स, बच्चे के स्टडी रूम में पढ़ाई से जुड़े कुछ गेम्स या वॉल स्टीकर भी लगा सकते हैं जैसे- पहाड़ों का चार्ट, गणित के चार्ट या शब्द उच्चारण आदि।