सुरक्षित सेक्स का आसान उपाय कंडोम

सेक्स कब और किस उम्र में किया जाए और सुरक्षित सेक्स कैसे किया जाए। यह दो अलग-अलग बातें हैं। पहली बात पर चर्चा करना विवाद को जन्म देना है। हमें सेक्स करना कब शुरू करना चाहिए या सेक्स का सही समय क्या है इसके बारे में हम नैतिकता और अनैतिकताओं की बात नहीं कर रहे हैं। आज भी यह कहा जाता है कि सेक्स शादी के बाद ही करना चाहिए। हालांकि आज की युवा पीढ़ी इस बात पर अमल नहीं करती है। वह शादी से पहले इसके बारे में अच्छा खासा ज्ञान ले लेती है। सेक्स शादी से पहले या बाद में कब भी हो लेकिन वह सुरक्षित होना चाहिए।

जब हम सुरक्षित सेक्स के बारे में बात करते हैं, तो सबसे पहले जेहन में कंडोम का ख्याल आता है। महिला और पुरुष दोनों ही इसका इस्तेमाल करते हैं। महिलाएँ स्वयं तो कंडोम का इस्तेमाल कम करती हैं वे अपने साथी को जरूर इसका इस्तेमाल करने का निर्देशन देती हैं। कंडोम का प्रयोग गर्भनिरोधक का सबसे आसान और सबसे विश्वसनीय तरीका है। सही तरीके से इस्तेमाल किया गया कंडोम आपको निश्चित तौर पर अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिलाता है। सवाल यह है कि कंडोम का इस्तेमाल करना कब शुरू करना चाहिए। इसका सीधा जवाब यह है कि जब आप यौन संबंध बनाने को पूरी तरह से तैयार होते हैं तब इसका उपयोग किया जाना चाहिए।

यौन सम्बन्ध कब और किस उम्र में बनाने चाहिए, यह एक विचारणीय प्रश्न है। जब कोई लडक़ा या लडक़ी जवानी में कदम रखता है, तब उनके मन में सेक्स के प्रति रुचि विकसित होने लगती है। इस उम्र अर्थात् 16 वर्ष के बाद व्यक्ति के शरीर में स्थित हार्मोन अपना खेल खेलना शुरू कर देते हैं। हार्मोन के चलते शारीरिक बदलाव शुरू होते हैं और हमारे मन में सेक्स के बारे में जानने के प्रति इच्छा या रुचि विकसित होने लगती है। यह रुचि धीरे-धीरे बढऩे लगती है। सबसे पहले, जब यौवन आता है, तो एक लडक़ी या लडक़ा अपने शरीर के अंगों में अधिक रुचि लेते हैं। वे अपने शरीर के बारे में समझने की कोशिश करते हैं और सीखते हैं कि उनके शरीर के सभी अंग कैसे काम करते हैं।

लडक़ों में नाइट इरेक्शन इसी के चलते होता है। यह इस बात का संकेत है कि उनकी दिलचस्पी सेक्स के प्रति बढ़ रही है और उनके हार्मोन उनकी इच्छाओं के बारे में अधिक जानने में उनकी मदद करने के लिए अपने तरीके से काम कर रहे हैं। इसी तरह, वैजाइनल डिस्चार्ज के साथ लड़कियों के ब्रेस्ट्स बढऩे लगते हैं और सेक्स में रुचि जागृत होने लगती है। जब आप पहली बार सेक्स करें तभी से कंडोम का इस्तेमाल करें।

कंडोम, गर्भनिरोधक है, जो सेक्स को सुरक्षित बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं—पुरुष कंडोम और महिला कंडोम। भारत में, पुरुष कंडोम का सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है। महिला कंडोम बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन इनका इतना उपयोग नहीं किया जाता है। इसका कारण यह है कि पुरुष कंडोम पहनने और उपयोग करने में सबसे आसान है।

कंडोम लेटेक्स या पॉलीयुरेथेन से बने होते हैं। वे एक पतली म्यान की तरह होती हैं जो स्पर्म को वैजाइना में प्रवेश करने से रोकते हैं, जिसके चलते गर्भ धारण नहीं होता है। पुरुष कंडोम लेटेक्स से बने होते हैं और महिला कंडोम पॉलीयुरेथेन के बनाए जाते हैं। पुरुष कंडोम पेनिस के ऊपरी हिस्से पर चढ़ाया जाता है जबकि महिला कंडोम को अंदर पहना जाता है।

कैसे काम करता है पुरुष कंडोम

जब कोई पुरुष कंडोम पहनता है तो वह अपने पूरी पेनिस को इससे कवर करता है। पेनिस पूरी तरह से इरेक्ट होने पर ही कंडोम पहना जाता है। कंडोम पेनिट्रेशन के समय स्पर्म /वीर्य को वैजाइना में प्रवेश करने से रोकने का काम करता है। इजैक्युलेशन के समय स्पर्म कंडोम के किनारे या नोक के पास जमा हो जाते हैं।

पुरुष जब ऑर्गैज्म महसूस करता है, तो उसे इरेक्शन की स्थिति में ही पेनिस को बाहर निकाल लेना चाहिए। पेनिस का इरेक्शन खत्म होने या साधारण स्थिति में आने के बाद कंडोम फिसलने लगता है और ऐसे में स्पर्म/वीर्य के वैजाइना में पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है।

कैसे काम करता है महिला कंडोम

एक महिला कंडोम में एक बंद ओपन एंड रिंग होती है। कंडोम के बंद किनारे वाले हिस्से को अंगूठे की मदद से वैजाइना में डाला जाता है जबकि दूसरा हिस्सा वैजाइना ओपनिंग के पास रहता है। कंडोम वैजाइना की दीवारों पर स्पर्म और सर्विक्स या गर्भाशय ग्रीवा के बीच एक रुकावट के तौर पर काम करता है। ऑर्गैज़्म के बाद कंडोम तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।